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CBSE 10th Sample Paper Hindi A Set 9 With Solutions

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Tushar
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CBSE 10th Sample Paper Hindi A Set 9 With Solutions

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समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80

सामान्य निर्देश

  1. इस प्रश्न-पत्र में कुल 15 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
  2. इस प्रश्न- पत्र में कुल चार खंड हैं- क, ख, ग, घ ।
  3. खंड-क में कुल 2 प्रश्न हैं, जिनमें उप- प्रश्नों की संख्या 10 है।
  4. खंड-ख में कुल 4 प्रश्न हैं, जिनमें उप- प्रश्नों की संख्या 20 है । दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 16 उप- प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  5. खंड-ग में कुल 5 प्रश्न हैं, जिनमें उप- प्रश्नों की संख्या 20 है।
  6. खंड-घ में कुल 4 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं।
  7. प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए लिखिए।

खंड ‘क’ (अपठित बोध) (14 अंक)

इस खंड में अपठित गद्यांश व काव्यांश से संबंधित तीन बहुविकल्पीय (1 × 3 = 3) और दो अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक (2 × 2 = 4) प्रश्न दिए गए हैं।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (7)

सशक्त जीवन सबसे श्रेष्ठ जीवन होता है। ऐसे जीवन की सबसे बड़ी पहचान यह है कि वह बिलकुल निडर और साहसी होता है। किसी भी कार्य की सफलता के लिए ध्येय के प्रति उत्कट लगन, कार्य में अटूट श्रद्धा एवं अपनी शक्तियों में पर्याप्त विश्वास आवश्यक है। विश्वास, एकाग्रता, लगन, संतुलन, श्रद्धा आदि सभी साहस पर निर्भर हैं, क्योंकि मनुष्य का सबसे प्रथम गुण साहस है। साहस अन्य सब गुणों का प्रतिनिधित्व करता है। यदि तन, मन तथा वाणी सशक्त हो तो उनके द्वारा प्राप्त कार्यशक्ति के आगे भाग्य स्वयं नत-मस्तक हो जाता है । साहसी की प्रतिभा के सामने शोक, भय आदि टिक नहीं पाते हैं। साहसी को संसार भी रास्ता देता है। मनुष्य में सभी गुण हों, वह विद्वान् हो, धनवान हो, शक्तिशाली हो, पर यदि उसमें साहस न हो तो वह अपने सद्गुणों, अपनी योग्यताओं व अपनी शक्तियों का उपयोग नहीं कर सकता । साहस मनुष्य के व्यक्तित्व का नायक है।

साहस व्यक्ति को निर्भय बनाता है और जहाँ निर्भयता होती है वहाँ सफलता निश्चित है। निर्भयता से ही आत्मविश्वास जागृत होता है। आत्मविश्वास के अभाव में हम उस प्रत्येक कार्य को करते हुए डरेंगे जो हमने पहले कभी नहीं किया और जो हमारे लिए बिलकुल नया है अर्थात् जिनके संकल्प अधूरे होते हैं, जो संशयग्रस्त होते हैं, वे कोई बड़ा काम नहीं कर पाते और यदि कुछ करते भी हैं तो उसमें असफल हो जाते हैं।

(क) “किसी भी कार्य की सफलता के लिए आवश्यक है।” प्रस्तुत कथन पढ़कर सही विकल्प का चयन कीजिए ।
1. ध्येय के प्रति उत्कट लगन
2. कार्य में अटूट श्रद्धा
3. अपनी शक्तियों में पर्याप्त विश्वास
4. कार्य के प्रति असंतुलन की प्रवृत्ति
कूट
(i) केवल 1 सही है।
(iii) 1 और 2 सही हैं।
(ii) 1, 2 और 3 मही हैं।
(iv) 3 और 4 सही हैं।
उत्तर:
(ii) 1, 2 और 3 सही हैं। किसी भी कार्य की सफलता के लिए ध्येय के प्रति उत्कट लगन, कार्य में अटूट श्रद्धा एवं अपनी शक्ति में पर्याप्त विश्वास आवश्यक है।

(ख) कथन (A) असफल व्यक्ति संशयग्रस्त होते हैं।
कारण (R) जिनके संकल्प अधूरे होते हैं, वे बड़ा काम नहीं कर पाते हैं।
(i) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है।
उत्तर:
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या है। असफल व्यक्ति संशयग्रस्त होते हैं अर्थात् जिनके संकल्प अधूरे होते हैं, वे कोई भी बड़ा काम नहीं कर पाते, असफल हो जाने के कारण वे संशयग्रस्त रहते हैं।

(घ) भाग्य स्वयं किसके आगे नतमस्तक हो जाता है ?
उत्तर:
गद्यांश में बताया गया है कि यदि व्यक्ति का तन, मन तथा वाणी सशक्त हो, तो उनसे प्राप्त होने वाली कार्य शक्ति के आगे भाग्य नतमस्तक हो जाता है। साहस व शक्ति के सामने कुछ भी टिक नहीं पाता है।

(ङ) प्रस्तुत गद्यांश का केंद्रीय भाव क्या है ?
उत्तर:
प्रस्तुत गद्यांश का केंद्रीय भाव यह है कि सशक्त जीवन सबसे श्रेष्ठ जीवन होता है। साहस वह शक्ति है, जो व्यक्ति के सभी गुणों का प्रतिनिधित्व करती है। प्रस्तुत गद्यांश के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि मनुष्य के भीतर साहस व आत्मविश्वास की भावना का विस्तार होना चाहिए।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।

लोहे के पेड़ हरे होंगे, तू गान प्रेम का गाता चल,
नम होगी यह मिट्टी जरूर, आँसू के कण बरसाता चल ।
सिसकियों और चीत्कारों से, जितना भी हो आकाश भरा,
कंकालों का हो ढेर, खप्परों से चाहे हो पटी धरा ।
आशा के स्वर का भार, पवन को लेकिन, लेना ही होगा,
जीवित सपनों के लिए मार्ग मुर्दों को देना ही होगा।
रंगों के सातों घर उडेल, यह अँधियाली रंग जाएगी,
उषा को सत्य बनाने को जावक नभ पर छितराता चल ।

आदर्शों से आदर्श भिड़े, प्रज्ञा प्रज्ञा पर टूट रही,
प्रतिमा प्रतिमा से लड़ती है, धरती की किस्मत फूट
रही ।

आवर्तों का है विषम जाल, निरूपाय बुद्धि चकराती है,
विज्ञान – यान पर चढ़ी हुई सभ्यता डूबने जाती है।
जब-जब मस्तिष्क जयी होता, संसार ज्ञान से चलता है,
शीतलता की है राह हृदय, तू यह संवाद सुनाता चल।

(क) लोहे के पेड़ किसके प्रतीक हैं?
(i) नकली संस्कृति
(ii) मशीने
(iii) मशीनी संस्कृति
(iv) विज्ञान
उत्तर:
(iii) मशीनी संस्कृति काव्यांश के अनुसार लोहे के पेड़ मशीनी संस्कृति के प्रतीक हैं।

(ख) कथन (A) दुःख और निराशा के वातावरण में मनुष्य को विचलित नहीं होना चाहिए।
कारण (R) मनुष्य को अपने हृदय में आशा का संचार करना चाहिए।
(i) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(ii) कथन (A) व कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या है।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है।
उत्तर:
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R) कथन (A) की सही व्याख्या है। दुःख और निराशा के वातावरण में मनुष्य का यह कर्त्तव्य होना चाहिए कि वह सहज भाव से आशा का संचार करें। वह अपने दुःखी हृदय को विचलित न करके अपने हृदय में आशा का संचार करें।

(ग) प्रस्तुत काव्यांश का मूल अथवा केंद्रीय भाव क्या है ? उचित विकल्प का चयन कीजिए।
1. जीवन में सपनों की कल्पना करते रहना
2. दूसरों को संवाद सुनाते रहना
3. आशावादी बनकर आगे बढ़ते रहना
4. अपनी किस्मत के विषय में विचारना
कूट
(i) कथन 2 सही है।
(ii) कथन 1 और 2 सही हैं।
(iii) कथन 3 सही है।
(iv) कथन 3 और 4 सही हैं ।
उत्तर:
(iii) केवल कथन 3 सही है । प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने बताया है कि मनुष्य को सर्वदा आशावादी बनकर आगे बढ़ते रहना चाहिए।

(घ) ‘नम होगी यह मिट्टी जरूर कहकर कवि किस ओर संकेत कर रहा है?
उत्तर:
‘नम होगी यह मिट्टी जरूर’ कहकर कवि अपने हृदय में आशा का संचार करने के लिए प्रेरित कर रहा है । कवि का तात्पर्य है कि प्रेम के बल पर शुष्क हृदयों में भाव भरे जा सकते हैं।

(ङ) ‘शीतलता की है राह हृदय, तू यह संवाद सुनाता चल’ प्रस्तुत पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि प्रेम की भावना से इस भौतिक- बौद्धिक संसार पर विजय पाई जा सकती है। इसलिए हमारे हृदय में सर्वथा प्रेम भावना विद्यमान रहनी चाहिए ।

खंड ‘ख’ (व्यावहारिक व्याकरण) (16 अंक)

व्याकरण के लिए निर्धारित विषयों पर अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक 20 प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें से केवल 16 प्रश्नों (1 × 16 = 16) के उत्तर देने हैं।

प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।

(क) ‘पिताजी ने माँ से कहा कि वह भी दिल्ली चले।’ इसे सरल वाक्य में परिवर्तित कीजिए ।
उत्तर:
पिताजी ने माँ से दिल्ली चलने के लिए कहा।

(ख) ‘आप दरवाज़े पर बैठकर उसकी प्रतीक्षा करें।’ इस संयुक्त वाक्य में परिवर्तित कीजिए।
उत्तर:
आप दरवाज़े पर बैठें और उसकी प्रतीक्षा करें।

(ग) ‘मनोज बीमार होने के कारण यहाँ नहीं आया’ इसे मिश्र वाक्य में परिवर्तित कीजिए ।
उत्तर:
मनोज यहाँ इसलिए नहीं आया, क्योंकि वह बीमार था ।

(घ) ‘शीला’ अग्रवाल की जोशीली बातों ने रगों में बहते खून को लावा में बदल दिया था।’ रचना के आधार पर वाक्य का भेद बताइए |
उत्तर:
प्रस्तुत वाक्य सरल वाक्य है।

(ङ) ‘जैसे ही रवि ने पत्र लिखा वैसे ही वह डाकघर चला गया।’ इसे सरल वाक्य में परिवर्तित कीजिए ।
उत्तर:
रवि पत्र लिखते ही डाकघर चला गया।

प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘वाच्य’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (1 × 4 = 4)

(क) ‘हमसे निमंत्रण पत्र कल लिखा जाएगा।’ वाच्य का प्रकार बताइए ।
उत्तर:
प्रस्तुत वाक्य कर्मवाच्य है।

(ख) ‘दिलीप दौड़ा’ । इसे भाववाच्य में बदलिए ।
उत्तर:
दिलीप से दौड़ा गया।

(ग) ‘सीमा पुस्तक पढ़ती है।’ इसे कर्मवाच्य में बदलिए ।
उत्तर:
सीमा द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है।

(घ) ‘आपसे फूल तोड़े जाएँगे।’ इसे कर्तृवाच्य में बदलिए ।
उत्तर:
आप फूल तोड़ेंगे।

(ङ) ‘वृद्ध व्यक्ति चल नहीं सकता।’ इसे भाववाच्य में बदलिए
उत्तर:
वृद्ध व्यक्ति से चला नहीं जाता।

प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘पद परिचय’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (1 × 4 = 4)
निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित पदों का पद-परिचय लिखिए।

(क) एक बड़े आर्थिक झटके के कारण गोपाल शर्मा इंदौर से अजमेर आ गए।
उत्तर:
गोपाल शर्मा व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता कारक

(ख) मोनू पानी पी रहा था।
उत्तर:
पानी द्रव्यवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, ‘पी रहा था’ क्रिया का कर्म, कर्म कारक

(ग) हम मंदिर गए, किंतु कोई फल नहीं मिला।
उत्तर:
मिला सकर्मक क्रिया, एकवचन, पुल्लिंग, सामान्य भूत, कर्तृवाच्य

(घ) सुरेश वहाँ बैठा है।
उत्तर:
वहाँ स्थानवाचक क्रिया-विशेषण, विशेष्य क्रिया ‘बैठा है’

(ङ) नवाब साहब ने फाँक को खिड़की से बाहर छोड़ दिया। नवाब साहब बाहर देखने लगे ।
उत्तर:
पहला बाहर — संबंधबोधक अव्यय, दूसरा बाहर – स्थानवाचक क्रिया – विशेषण

प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘अलंकार’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (1 × 4 = 4)

(क) ‘तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे यह गागर रीति’ रेखांकित पंक्ति में निहित अलंकार बताइए ।
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति में जीवनरूपी घड़े को खाली पाने की बात कही गई है। अत: उपमेय में उपमान का अभेद आरोपण है इसलिए यहाँ रूपक अलंकार है।

(ख) ‘कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर जाए ।
हिम के कणों से पूर्ण मानो हो गए पंकज नए ।
‘इन काव्य पंक्तियों में कौन-सा अलंकार प्रयुक्त है?
उत्तर:
प्रस्तुत काव्य पंक्ति में उत्तरा के अश्रुपूरित नेत्र उपमेय है तथा हिम-कण से परित पंकज उपमान है। उपमेय में उपमान की / संभावना मानों वाचक द्वारा व्यक्त की गई है, इसलिए यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है।

(ग) ‘मखमल के झूले पड़े हाथी-सा टीला ।’ प्रस्तुत काव्य पंक्ति में प्रयुक्त अलंकार कौन-सा है ?
उत्तर:
यहाँ टीले की तुलना हाथी से की गई है, इसलिए प्रस्तुत काव्य पंक्ति में उपमा अलंकार है ।

(घ) ‘उषा सुनहले तीन बरसती
जयलक्ष्मी सी उदित हुई ।
प्रस्तुत काव्य पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर:
प्रस्तुत काव्य पंक्ति में उषा को सुनहरे तीर बरसाती हुई नायिका के रूप में दिखाया गया है। अतः यहाँ मानवीकरण अलंकारें है।

(ङ) पंखुरी लगे गुलाब की परि है गात खरोट । इन भाव पंक्तियों में कौन-सा अलंकार प्रयुक्त है?
उत्तर:
यहाँ गुलाब की पंखुड़ियों के छूने मात्र से शरीर पर खरोंच लग जाती है। यहाँ बात का बढ़ा-चढ़ाकर वर्णन किया गया है, इसलिए अतिशयोक्ति अलंकार है।

खंड ‘ग’ (पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक) (30 अंक)

इस खंड में पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)

काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परम्परा है। यह आयोजन पिछले कई बरसों से संकटमोचन मंदिर में होता आया है। यह मंदिर शहर के दक्षिण में लंका में स्थित है व हनुमान जयंती के अवसर पर यहाँ पाँच दिनों तक शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय गायन-वादन की उत्कृष्ट सभा होती है। इसमें बिस्मिल्ला खाँ अवश्य रहते हैं। अपने मज़हब के प्रति अत्यधिक समर्पित उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ की श्रद्धा काशी विश्वनाथ जी के प्रति भी अपार है। वे जब भी काशी से बाहर रहते हैं, तब विश्वनाथ व बालाजी मंदिर की दिशा की ओर मुँह करके बैठते हैं, थोड़ी देर ही सही, लेकिन उसी ओर शहनाई का प्याला घुमा दिया जाता है और भीतर की आस्था रीड के माध्यम से बजती है । खाँ साहब की एक रीड 15 से 20 मिनट के अंदर गीली हो जाती है, तब वे दूसरी रीड का इस्तेमाल कर लिया करते हैं ।

(क) संगीत आयोजन की परम्परा कहाँ होती है?
(i) बालाजी मंदिर में
(ii) संकटमोचन मंदिर में
(iii) विश्वनाथ में
(iv) सभा में
उत्तर:
(ii) संकटमोचन मंदिर में काशी में संगीत आयोजनं की एक प्राचीन और अद्भुत परम्परा है, जिसका आयोजन कई वर्षों से संकटमोचन मंदिर में होता आया है।

(ख) ‘बिस्मिल्ला खाँ संपूर्ण समाज को किसका संदेश देते हैं?’ कथन के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए |
1. उत्सव मनाने का
2. गायन-वादन की कला का
3. धार्मिक सद्भावना का
4. संगीत आयोजन का
कूट
(i) कथन 1 और 2 सही हैं।
(iii) कथन 3 और 4 सही हैं।
(ii) केवल कथन 3 सही है।
(iv) कथन 2 और 3 सही हैं।
उत्तर:
(ii) केवल कथन 3 सही है। बिस्मिल्ला खाँ संपूर्ण समाज को धार्मिक सद्भावना का संदेश देते हैं। वे अपने धर्म के साथ-साथ हिंदू धर्म का भी सम्मान करते थे।

(ग) काशी का संगीत आयोजन किस अवसर पर होता है?
(i) रामलीला के अवसर पर
(ii) जन्माष्टमी के अवसर पर
(iii) मुहर्रम के अवसर पर
(iv) हनुमान जयंती के अवसर पर
उत्तर:
(iv) हनुमान जयंती के अवसर पर काशी का संगीत आयोजन हनुमान जयंती के अवसर पर होता है। यहाँ पाँच दिनों तक शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय गायन-वादन की उत्कृष्ट सभा होती है ।

(घ) कथन (A) बिस्मिल्ला खाँ का अपने व अन्य मजहब के प्रति समर्पित भाव है।
कारण (R) बिस्मिल्ला की श्रद्धा काशी विश्वनाथ के प्रति भी अपार है।
(i) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
उत्तर:
(iii) कथन (A) और कारण (R) सही तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या है। बिस्मिल्ला खाँ का अपने मजहब के प्रति समर्पित भाव है और साथ ही उनकी श्रद्धा काशी विश्वनाथ के प्रति भी अपार है।

(ङ) खाँ साहब शहनाई का प्याला किस ओर घुमा दिया करते हैं?
(i) संकटमोचन मंदिर की ओर
(ii) पश्चिम दिशा की ओर
(iii) उत्तर दिशा की ओर
(iv) विश्वनाथ व बालाजी मंदिर की दिशा की ओर
उत्तर:
(iv) विश्वनाथ व बालाजी मंदिर की दिशा की ओर बिस्मिल्ला खाँ साहब जब काशी से बाहर रहते थे, तब वे विश्वनाथ व बालाजी मंदिर की दिशा की ओर मुँह करके बैठते थे, थोड़ी देर के लिए वह शहनाई का प्याला उसी ओर घुमा दिया करते थे।

प्रश्न 8.
गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)

(क) ‘बालगोबिन भगत’ पाठ में लेखक ने किस सामाजिक समस्या का समाधान प्रस्तुत करने का प्रयास किया है ?
उत्तर:
‘बालगोबिन भगत’ पाठ के माध्यम से लेखक समाज में उपस्थित विधवाओं की समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित करा रहे हैं। भगत ने इस समस्या का समाधान विधवा पुनर्विवाह के रूप में प्रस्तुत किया है । बालगोबिन भगत ने अपनी पतोहू के भाई को बुलाकर उसे पतोहू के पुनर्विवाह का आदेश दिया, क्योंकि भगत यह समझते थे कि विधवा जीवन अत्यधिक कष्टदायक होता है।

(ख) “वो लँगड़ा क्या जाएगा फौज़ में, पागल है पागल !” ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर कैप्टन के प्रति पान वाले की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए |
उत्तर:
कैप्टन के प्रति पान वाले की यह टिप्पणी प्रत्येक उस देशभक्त का अपमान करती है, जो अपने देश से प्रेम करता है। आजकल देशभक्ति को ‘पागलपन’ और देशभक्त को ‘पागल’ कहा जाता है। ऐसी टिप्पणी देश एवं देशभक्तों का अपमान है, उनके बलिदान का अपमान है। वास्तव में, हमें देश को स्वाधीन कराने वाले उन लाखों स्वाधीनता सेनानियों का आभार व्यक्त करना चाहिए, जिनके कारण आज हम स्वतंत्र हवा में साँस ले पा रहे हैं।

(ग) “नवाब साहब खीरे खाने की तैयारी और इस्तेमाल से थककर लेट गए ।” लखनवी अंदाज़ पाठ के आधार पर बताइए कि प्रस्तुत पंक्ति में लेखक ने किस पर व्यंग्य किया है और क्यों?
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति के माध्यम से लेखक ने नवाब साहब व उनके नवाबी शौक पर व्यंग्य किया है, क्योंकि नवाब साहब ने पूरे जोर-शोर से खीरों को धोया, काटा, झाग निकाला, फाँक बनाकर जीरा – मिला हुआ नमक और लाल मिर्च बुरकाई, परंतु झूठी शान में आकर फाँकों को मात्र सूँघकर ही फेंक दिया और फिर पेट भर जाने का कृत्रिम अभिनय किया। इस वास्तविक शारीरिक श्रम एवं काल्पनिक स्वाद लेने के बाद नवाब साहब मानसिक रूप से संतुष्ट दिखाई देने की कोशिश करने लगे। उनका ऐसा करना उनके मिथ्या आडंबर प्रदर्शन प्रियता एवं उनके व्यावहारिक खोखलेपन की ओर इंगित करता है।

(घ) ‘एक कहानी यह भी पाठ के आधार पर प्रिंसिपल का पत्र आने से लेखिका के पिता का क्रोध बाद में प्रशंसा में कैसे बदल गया?
उत्तर:
एक बार लेखिका के घर पर कॉलेज से प्रिंसिपल का पत्र आया, जिसमें उनकी शिकायत की गई थी। पत्र पढ़ते ही लेखिका के पिताजी क्रोध से भर उठे और उन्हें भला-बुरा कहने लगे। जब वह कॉलेज से वापस लौटे तो उनके क्रोध का स्थान प्रशंसा ने ले लिया था। उन्हें यह जानकार बहुत खुशी हो रही थी कि उनकी पुत्री को कॉलेज में छात्राएँ इतना सम्मान देती हैं कि उनके एक बार कह देने पर अपनी कक्षाओं का बहिष्कार तक कर देती हैं।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित पठित पद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए ।

मुख्य गायक के चट्टान जैसे भारी स्वर का साथ देती
वह आवाज़ सुंदर कमज़ोर काँपती हुई थी
वह मुख्य गायक का छोटा भाई है
या उसका शिष्य
या पैदल चलकर सीखने आने वाला दूर का कोई रिश्तेदार

(क) मुख्य गायक की आवाज़ कैसी होती है?
(i) कर्कश
(ii) पाषाण के समान कठोर
(iii) कमज़ोर
(iv) चट्टान जैसी भारी
उत्तर:
(iv) चट्टान जैसी भारी प्रस्तुत पद्यांश के अनुसार, मुख्य गायक की आवाज़ अन्य सह गायकों से थोड़ी भारी होती है।

(ख) मुख्य गायक के स्वर से स्वर मिलाती आवाज़ किसकी होती है?
(i) मुख्य गायक के शिष्य की
(ii) मुख्य गायक के अनुज की
(iii) संगीत सीखने वाले किसी रिश्तेदार की
(iv) इनमें से कोई भी हो सकता है
उत्तर:
(iv) इनमें से कोई भी हो सकता है मुख्य गायक के स्वर से स्वर मिलाती आवाज़ मुख्य गायक के शिष्यों की मुख्य गायक के अनुज की, संगीत सीखने वाले किसी रिश्तेदार की या अन्य श्रोताओं की भी हो सकती है।

(ग) चट्टान जैसे भारी स्वर से क्या अभिप्राय है?
(i) कर्कश और कठोर स्वर
(ii) गंभीर और दमदार स्वर
(iii) तीखा और मृदु स्वर
(iv) कमज़ोर और पतला स्वर
उत्तर:
(ii) गंभीर और दमदार स्वर चट्टान जैसे भारी स्वर से अभिप्राय गंभीर और दमदार स्वर से है।

(घ) मुख्य गायक का साथ देने वाले गायक के स्वर की विशेषता कौन-सी नहीं है? सही विकल्प का चयन कीजिए
(i) दमदार व भारी आवाज
(ii) कमज़ोर वं भय मुक्त आवाज
(iii) कंपनयुक्त व डगमगी आवाज
(iv) सुंदर व आकर्षक आवाज
उत्तर:
(i) दमदार व भारी आवाज प्रश्न में दी गई विशेषताओं में दमदार व भारी आवाज मुख्य गायक का साथ देने वाले गायक के स्वर की विशेषता नहीं है।

(ङ) कथन (A) आवाज में हिचक सुनाई देती है।
कारण (R) संगतकार व मुख्य गायक के गायन में हिचक है।
(i) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है ।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
उत्तर:
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है। काव्यांश के अनुसार संगतकार की आवाज में हिचक सुनाई देती है।

प्रश्न 10.
कविताओं के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)

(क) गोपियों ने उद्भव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है? ‘सूर के पदों’ के आधार पर उत्तर दीजिए ।
उत्तर:
गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा ऐसे लोगों को देने की बात कही है, जिनका मन चकरी के समान चंचल है। गोपियों का मन तो सदैव श्रीकृष्ण के प्रेम में ही रमा रहता है, इसलिए उन्हें योग की आवश्यकता नहीं है। यहाँ श्रीकृष्ण पर व्यंग्य किया गया है कि वे मथुरा जाकर उन्हें भूल गए हैं, परंतु गोपियों ने श्रीकृष्ण को ही अपने हृदय में बसाया हुआ है। अन्य किसी का उनके हृदय ‘में स्थान नहीं है।

(ख) बच्चे की कवि से आत्मीयता क्यों नहीं है? आत्मीयता के लिए क्या आवश्यक होता है ? ‘यह दंतुरित मुस्कान’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
बच्चे की कवि से आत्मीयता इसलिए नहीं है, क्योंकि कवि सदैव बाहर ही रहा है । बच्चा कवि को अपरिचित समझता है, क्योंकि इससे पहले वह कभी कवि से मिला ही नहीं है। आत्मीयता के लिए पर्याप्त मेल-जोल अतिआवश्यक है। आत्मीयता भाव न होने के कारण ही बालक कवि को एकटक देखता है, परन्तु वह उसे पहचान नहीं पाता।

(ग) राम के वचन सुनकर परशुराम ने क्रोधित होकर क्या कहा ? ‘राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद’ पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
राम के वचन सुनकर परशुराम ने क्रोधित होकर कहा कि “सेवक वही होता है जो सेवा का कार्य करता है। शत्रुता का कार्य करने वाले से तो युद्ध करना चाहिए और जिसने भी यह शिव का धनुष तोड़ा है, वह सहस्रबाहु के समान मेरा शत्रु है ।”

(घ) ‘उत्साह’ कविता में ‘धाराधर’ कौन है ? कवि उससे क्या चाहता है ? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
‘उत्साह’ कविता में कवि ने ‘धाराधर’ के रूप में बादलों को संबोधित किया है। वे बादलों से घिर-घिरकर खूब गरजने के लिए कह रहे हैं। कवि कह रहा है कि हे बादलों! तुम वर्षा करके समस्त पीड़ित-प्यासे जन की इच्छा पूरी कर दो तथा संसार को नव-जीवन से भर दो। तुम गर्मी से तपती धरती तथा बैचेन व दुःखी लोगों को गरज – बरस कर सुखी कर दो।

प्रश्न 11.
पूरक पाठ्यपुस्तक के पाठों पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए । (4 × 2 = 8)

(क) ‘पर्यावरण का संरक्षण हमारा नैतिक कर्त्तव्य है, किंतु लोगों द्वारा इसे भूलने के कारण दिन-प्रतिदिन पर्यावरण में परिवर्तन दिखाई दे रहे हैं। ‘साना-साना हाथ जोड़ि पाठ के आधार पर चर्चा कीजिए |
उत्तर:
यूमथांग पहुँचने के बाद तिस्ता नदी के किनारे एवं वहाँ के वातावरण को देखकर लेखिका को लगा कि प्रकृति ने मनुष्य को सुख-शांति, पेड़-पौधे सभी कुछ दिया है, किंतु हमारी पीढ़ी ने प्रकृति की इस लय, ताल और गति के साथ खिलवाड़ करके अक्षम्य अपराध किया है। पर्यावरण का संरक्षण हमारा नैतिक कर्त्तव्य है, किंतु लोगों द्वारा इसे भूलने के कारण दिन-प्रतिदिन पर्यावरण में परिवर्तन दिखाई दे रहे हैं। पर्यावरण का संरक्षण न करने के कारण प्रदूषण की मात्रा बहुत अधिक बढ़ गई है।

प्रदूषण के कारण न केवल बर्फबारी कम हो गई है, बल्कि वातावरण में और भी अनेक प्रतिकूल परिवर्तन आ रहे हैं। इससे नदियों का जल प्रदूषित हो रहा है तथा भूमिगत जल का स्तर गिरता जा रहा है, जिसके फलस्वरूप पीने योग्य पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही, ध्वनि प्रदूषण व वायु प्रदूषण भी हो रहा है, जिससे मनुष्य अस्थमा, कैंसर तथा उच्च रक्तचाप, बहरापन, अनिद्रा एवं मानसिक अस्थिरता जैसे अनेक रोगों से ग्रस्त हो रहा है। प्रदूषण के कारण मनुष्य खुशहाल तथा निरोगी जीवन से दूर होता जा रहा है।

(ख) भोलानाथ एवं उसके मित्र सरल खेल खेलते थे। उन्हें लोगों को चिढ़ाने में भी मज़ा आता था। उनके द्वारा की गई ऐसी शरारतें क्या दर्शाती हैं? ‘माता का अँचल’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
भोलानाथ एवं उसके मित्रों के खेल सरल होते थे। वे विभिन्न खेल खेलते थे; जैसे-मिट्टी की मिठाइयाँ बनाते, घरौंदा बनाते, खेती करने के खेल खेलते तथा बारात के जुलूस में कनस्तर का तंबू बजाते चलते । ये सब खेल बाल-सुलभ भोलापन और सरलता के ही परिचायक हैं। उनके द्वारा की गई शरारतें; जैसे – मूसन तिवारी को चिढ़ाना, चूहे के बिल में पानी डालना आदि बाल-सुलभ स्वभाव को दर्शाती हैं।

(ग) वर्तमान समय में मनुष्य अपने झूठे अहम के कारण किसी भी सीमा तक जा सकता है। वह अपने कृत्य से होने वाली हानि का विश्लेषण नहीं करता। ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए |
उत्तर:
वर्तमान समय में मनुष्य अपने झूठे अहम के कारण किसी भी सीमा तक जा सकता है। वह अपने कृत्य से होने वाली हानि का विश्लेषण नहीं करता, अपितु अपने अहम के झूठे तुष्टीकरण के लिए मानवता विरोधी कार्य भी बिना किसी भय के कर देता है। लेखक ने मछलियों के उदाहरण द्वारा मनुष्य की इसी प्रवृत्ति की ओर संकेत किया है।

सैनिकों द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी में बम फेंककर मछलियों को मारना मनुष्य की अतिक्रमण एवं संपूर्ण विश्व पर अपने प्रभुत्व को बनाए रखने की प्रवृत्ति की ओर संकेत करता है । मनुष्य की इसी प्रवृत्ति का परिणाम था कि हिरोशिमा व नागासाकी में बम विस्फोट किया गया।

खंड ‘घ’ (रचनात्मक लेखन) (20 अंक)

इस खंड में रचनात्मक लेखन पर आधारित प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए । (6)

(क) वर्तमान शिक्षा पद्धति
संकेत बिंदु

  • भूमिका
  • माध्यमिक शिक्षा की आवश्यकता
  • शिक्षा की उपयोगिता
  • शिक्षा हमारी अच्छी मित्र

उत्तर:
वर्तमान शिक्षा पद्धति
शिक्षा मानव जीवन की आधारशिला होती है। शिक्षा व्यक्ति के स्वयं के विकास एवं देश के विकास दोनों के लिए महत्त्वपूर्ण होती है। शिक्षा मनुष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर तथा अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाती है। हमारी प्राचीन शिक्षा पद्धति गुरुकुल पद्धति पर आधारित थी, जिसमें बच्चों को विद्यार्जन के लिए गुरु के पास भेज दिया जाता था और वे अपनी संपूर्ण शिक्षा अर्जित करने के उपरांत अपने घर वापस आते थे। वर्तमान शिक्षा पद्धति पाश्चात्य शिक्षण पद्धति पर आधारित है। शिक्षा का कार्य बच्चों का सर्वांगीण विकास करना होता है। वर्तमान शिक्षा पद्धति तीन श्रेणियों में विभक्त है – प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च या विश्वविद्यालयी शिक्षा | इन तीनों श्रेणियों में माध्यमिक शिक्षा अति महत्त्वपूर्ण मानी जाती है अथवा कह सकते हैं कि माध्यमिक शिक्षा ही राष्ट्र की रीढ़ होती है।

माध्यमिक शिक्षा के उपरांत ही विश्वविद्यालयी शिक्षा ग्रहण की जा सकती है, इसलिए माध्यमिक शिक्षा की उपयोगिता को देखते हुए ही अनेक योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है। विद्यार्थियों को उच्च व अच्छी आधुनिक माध्यमिक शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा नवोदय तथा केंद्रीय विद्यालय जैसी शैक्षिक संस्थाओं को स्थापित करने का प्रशंसनीय कार्य किया गया है। जो शिक्षा हमारे जीवन का निर्माण कर सके, विचारों में सामंजस्य स्थापित कर सके, वही वास्तव में शिक्षा है। शिक्षा सबसे शक्तिशाली अस्त्र है, जिससे दुनिया को बदला जा सकता है। हमारी शिक्षा प्रणाली में कुछ कमियाँ हैं; जैसे- छात्रों में अनुशासनहीनता की भावना का होना, वर्तमान शिक्षा का व्यावसायिक योग्यता न दे पाना आदि। शिक्षा संबंधी इन कमियों को दूर करके हम बेरोज़गारी की समस्या पर भी नियंत्रण प्राप्त कर सकते हैं। चाणक्य के अनुसार, “शिक्षा सबसे अच्छी मित्र होती है। शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है। शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य शक्ति दोनों ही कमज़ोर हैं। ”

(ख) आधुनिक युग में कंप्यूटर का महत्त्व
संकेत बिंदु

  • भूमिका
  • कंप्यूटर का महत्त्व एवं उपयोगिता
  • सूचना प्रौद्योगिकी में योगदान
  • कंप्यूटर के नकारात्मक परिणाम

उत्तर:
आधुनिक युग में कंप्यूटर का महत्त्व
विज्ञान ने मनुष्य को सुख-सुविधा के अनेक साधन प्रदान किए हैं, जिनमें कंप्यूटर सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। विज्ञान द्वारा विकसित यह यंत्र मनुष्य के मस्तिष्क की भाँति कार्य करता है। इसने हमारे जीवन को अनेक सुख-सुविधाओं से भर दिया है। कंप्यूटर के कारण ही सूचनाओं की प्राप्ति और इनके संवहन में क्रांतिकारी वृद्धि हुई है। आज कंप्यूटर का वर्चस्व बढ़ता जा रहा है।

कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहाँ इसे प्रयोग में न लाया जाता हो। प्रारंभ में इसके प्रयोग को लेकर विरोध अवश्य हुआ था, परंतु वर्तमान समय में वेतन, बिजली-बिल, अस्पताल, अनुसंधान, विद्यालय, ई-टिकट, मौसम की जानकारी, व्यापार संबंधी जानकारी आदि क्षेत्रों में कंप्यूटर का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसके उपयोग से न केवल कार्य करने के तरीकों में बदलाव आया है, बल्कि इसने शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कंप्यूटर ने सूचना प्रौद्योगिकी में योगदान देकर क्रांति ला दी है।

ई-मेल जैसी सुविधाओं ने आँकड़ों एवं सूचनाओं के परस्पर आदान-प्रदान को सुलभ बनाया है। वहीं उपग्रहों से संपर्क बनाना, एनीमेशन से चलचित्रों का निर्माण करना आदि कार्य भी किए हैं। कंप्यूटर से एक स्थान से दूसरे स्थान पर संदेश भेजने, बात करने एवं सूचना प्राप्त करने में सहायता प्राप्त हुई है। कंप्यूटर, रेडियो तथा टेलीविजन के कार्यक्रमों के प्रसारण तथा अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में भी अपना अभूतपूर्व योगदान दे रहा है। कंप्यूटर की उपलब्धियाँ अनगिनत हैं। यह अभी भी बहुत संभावनाओं से भरा क्षेत्र है।

इसका उपयोग वैज्ञानिक और व्यापारिक प्रक्रियाओं में कितना ही क्यों न बढ़ जाए, परंतु यह मानव मस्तिष्क का स्थान नहीं ले सकता। मनुष्य ने कंप्यूटर बनाया है, कंप्यूटर ने मनुष्य को नहीं। इसके अतिरिक्त कंप्यूटर के नकारात्मक परिणाम भी देखे जाते हैं। कंप्यूटर के प्रयोगों के कारण बेरोज़गारी में बढ़ोत्तरी हुई है तथा मानव ने अपने शरीर को अत्यधिक आराम देने की शुरुआत कर दी है, जिससे मानवों में अनेक बीमारियों का वास होने लगा है। अतः विज्ञान के इस चमत्कार का उचित ढंग से प्रयोग किया जाना चाहिए, जिससे मानव जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़े।

(ग) आधुनिक जीवन शैली और स्वास्थ्य
संकेत बिंदु

  • भूमिका
  • आधुनिक जीवन-शैली
  • आधुनिक जीवन-शैली का स्वास्थ्य पर प्रभाव
  • आधुनिक जीवन-शैली को बदलने की आवश्यकता

उत्तर:
आधुनिक जीवन शैली और स्वास्थ्य
हमारी जीवन-शैली कितनी बुरी तरह असंतुलित हो रही है, इस बात का हमें अनुमान भी नहीं है। इस जीवन शैली की हमें कितनी बड़ी कीमत चुकानी होगी, इसे समझने में हमें सदियाँ लगेंगी। मनुष्य जीवन हमारे पास प्रकृति की एक अमूल्य धरोहर और उपहार है, इसलिए हमें सुसभ्य ढंग से जीने की कला को सीखना चाहिए, किंतु आज मनुष्य आधुनिक जीवन शैली को अपनाकर जीवन जीने की कला को भूलता जा रहा है। आज हम आधुनिक जीवन शैली में इस तरह खोते जा रहे हैं। कि हमें हमारी संस्कृति की भी कोई परवाह नहीं है। नई जीवन-शैली ने मनुष्य को आलसी और कमजोर बना दिया है। आज के नए युवा आधुनिक जीवन-शैली अपनाने के लिए हर प्रकार का दिखावा करने में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। आधुनिक जीवन शैली का स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।

बदलती जीवन शैली में लोग आलसी होते जा रहे हैं। आज के युवा किताबें पढ़ने के स्थान पर मोबाइल में गेम’ खेलकर, फिल्में देखकर, गाना सुनकर अपना समय व्यतीत करते हैं। इससे न केवल हम अपना समय ही खोते हैं अपितु अपनी आँखों व कानों पर भी बुरा असर डालते हैं। पहले मनुष्य अपना ज्यादा-से-ज्यादा समय ज्ञान प्राप्त करने में लगाता था, इसके बाद जो समय बचता था वह उसमें खेल कूद करता था, जिससे हमारा शरीर स्वस्थ और दिमाग भी तंदुरुस्त रहता था, किंतु आज ऐसा नहीं है। आधुनिक जीवन शैली व्यक्ति को पूर्ण रूप से तंदुरुस्त रहने नहीं देती। आज लोग मदिरा सेवन करने में गर्व महसूस करते हैं, किंतु वे यह नहीं जानते कि मदिरा का सेवन करने वालों का कोई सम्मान नहीं होता। वर्तमान में अनेक युवा अपना पूरा दिन सोने में ही गुजार देते हैं, जिसके कारण उनके शरीर का विकास नहीं हो पाता और उनके शरीर में तरह-तरह की बीमारियाँ हो जाती हैं।

कुछ युवा टीवी देखने में समय व्यतीत करते हैं, जिससे उनकी आँखें खराब हो जाती हैं और वे पढ़ाई में पीछे रह जाते हैं। अंततः यही कहा जा सकता है कि आधुनिक जीवन-शैली मनुष्य के स्वास्थ्य पर पूर्ण रूप से प्रभाव डाल रही है। यदि हमने अपनी आधुनिक जीवन शैली को नहीं बदला, तो भविष्य में हमें बहुत चिंताजनक स्थिति से गुजरना पड़ सकता है। हमें सही समय पर सोने, सही समय पर खेल कूद करने की आवश्यकता है। तभी हम अपना स्वास्थ्य ठीक रखकर अपने सुंदर भविष्य की कल्पना कर सकते हैं।

प्रश्न 13.
आप. अभिनव कुमार हैं। आपके शहर में बर्ड फ्लू तीव्र गति से फैल रहा है, इसके लिए स्वास्थ्य विभाग का ध्यान आकृष्ट कराने हेतु समाचार-पत्र के संपादक को अनुरोध करते हुए लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए । (5)
अथवा
आप अर्पित त्यागी हैं। आपके छोटे भाई ने बोर्ड की परीक्षा में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है। पुरस्कार में वह पिताजी से एक मोटर साइकिल चाहती है। उसे बताइए कि वयस्क होने से पहले वाहन चलाना ठीक नहीं है। अपने छोटे भाई को समझाते हुए लगभग 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए ।
उत्तर:
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 25 जून, 20XX

सेवा में,
श्रीमान संपादक महोदय,
आदर्श नगर,
दिल्ली।

विषय स्वास्थ्य विभाग के लापरवाह व्यवहार

महोदय,
‘कारण बर्ड फ्लू के तीव्रता से फैलने के संदर्भ में।
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान स्वास्थ्य विभाग के लापरवाह व्यवहार की ओर दिलाना चाहता हूँ। हमारे क्षेत्र में तैनात स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी अपने कर्त्तव्य से विमुख हो गए हैं। वे कई-कई दिनों तक हमारे क्षेत्र में नहीं आते। यदि थोड़ी देर के लिए आ भी जाते हैं, तो अपना कार्य नहीं करते, बल्कि उसके स्थान पर किसी हलवाई या चाट-पकौड़ी वाले की दुकान पर बैठकर नाश्ता आदि करके वापस चले जाते हैं। हमारे क्षेत्र में बर्ड फ्लू संक्रामक रोग फैला हुआ है, जिससे लोग परेशान हो रहे हैं। उन्हें उचित समय पर स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल पा रही है, जिस कारण कुछ लोगों को अपनी जान गँवानी पड़ रही है।

हमने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को कई बार अपनी समस्याओं से अवगत भी कराया है, किंतु उन्होंने कोई उचित कार्यवाही नहीं की, उनकी लापरवाही कई जानें ले चुकी है। महोदय, आपसे विनम्र निवेदन है कि आप स्वयं अपने स्तर से जाँच कराने की कृपा करें, ताकि हमारी समस्याओं का निवारण किया जा सके।
धन्यवाद ।
प्रार्थी
अभिनव कुमार

अथवा

परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 16 मार्च, 20XX
प्रिय अनुज,

शुभाशीष !

कल फ़ोन पर पिताजी से बात हुई। यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुई कि तुमने बोर्ड की परीक्षा में काफ़ी उत्कृष्ट अंकों के साथ सफलता प्राप्त की है। इसके लिए तुम्हें ढेर सारी बधाइयाँ । पिताजी ने बताया कि इस सफलता के पुरस्कारस्वरूप तुम मोटर साइकिल माँग रहे हो । भारतीय वाहन अधिनियम के अंतर्गत 18 वर्ष से कम आयु में वाहन चलाना दंडनीय अपराध है, जबकि तुम्हारी आयु अभी मात्र 14 वर्ष है । तुम चिंता मत करो, उचित समय पर मैं स्वयं पिताजी से कहकर तुम्हें मोटर साइकिल दिलवा दूंगा। मेरे विचार से अभी तुम्हें अपनी आगे आने वाली परीक्षाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। अभी तुम्हें जीवन की बहुत-सी महत्त्वपूर्ण परीक्षाओं में सफलता प्राप्त करनी है। इनमें अच्छी सफलता तुम्हें यश एवं आत्मसंतुष्टि प्रदान करेगी।

आशा है कि अब तुम मोटर साइकिल की ज़िद न करके अपना पूरा ध्यान आगे की पढ़ाई पर लगाओगे । माताजी एवं पिताजी को मेरा चरण-स्पर्श कहना। तुम्हें एक बार फिर से ढेर सारा प्यार ।
तुम्हारा बड़ा भाई
अर्पित त्यागी

प्रश्न 14.
आप वैशाली शर्मा हैं। आपने रसायनशास्त्र विषय में स्नातकोत्तर किया है तथा बी. एड. कर चुकी हैं। आपको सुबोध इंटरनेशनल अ ब स नगर में केमेस्ट्री की अध्यापिका के पद के लिए आवेदन करना है। इसके लिए आप अपना एक संक्षिप्त स्ववृत्त (बायोडाटा) लगभग 80 शब्दों में तैयार कीजिए । (5)
अथवा
आप शुभम वैश्य हैं। आप अपने आयकर से मुक्ति चाहते हैं। इसके लिए आयकर अधिकारी को लगभग 80 शब्दों में एक ई-मेल लिखिए।
उत्तर:
स्ववृत्त
नाम : वैशाली शर्मा
पिता का नाम : श्री पराग शर्मा
माता का नाम : श्रीमती पिंकी शर्मा
जन्म तिथि : 2 अक्टूबर, 19XX
वर्तमान पता : ए-24, महेश नगर, आगरा (उत्तर प्रदेश)
स्थायी पता : उपर्युक्त
दूरभाष नंबर : 05629283XX
मोबाइल नंबर : 9823XXXXXX
ई-मेल : 25vashali@gmail.com

अन्य संबंधित योग्यताएँ

  • स्मार्ट बोर्ड कक्षाओं का ज्ञान
  • कंप्यूटर का ज्ञान
  • विज्ञान प्रदर्षणी का आयोजन करने मे निपुनता

उपलब्धियाँ

  • विज्ञान क्विज (जिला स्तर) प्रतियोगिता में द्वितीय पुरस्कार, 2012
  • विज्ञान क्विज (विश्वविद्यालय स्तर) प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार, 2015

कार्योत्तर गतिविधियाँ तथा अभिरुचियाँ

  • सेंट्रल स्कूल, मालवीय नगर, आगरा में अवकाश रिक्ति पर पीजीटी केमेस्ट्री पद पर छः माह का शिक्षण अनुभव
  • विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन
  • विज्ञान से संबंधित पत्रिकाओं का नियमित पठन

संदर्भित व्यक्तियों का विवरण

  • श्रीमती अमृता वर्मा, प्रोफेसर, आगरा विश्वविद्यालय, आगरा
  • श्रीमती अनुपमा राय, प्रिंसिपल, सेंट्रल स्कूल, मालवीय नगर, आगरा

उद्घोषणा मैं यह पुष्टि करती हूँ कि मेरे द्वारा दी गई उपर्युक्त जानकारी पूर्ण रूप से सत्य है।

तिथी 6.10.20XX
स्थान आगरा
वैशाली शर्मा
हस्ताक्षर

अथवा

From : Shubham 1@gmail.com
To : Income@yahoo.com
CC . : abc @yahoo.com, pqr@gmail.com
BCC : –

विषय आयकर से पूर्ण मुक्ति हेतु ।
महोदय,
मुझे 29 मार्च, 20XX को आपकी ओर से एक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें वर्ष 20XX XX के लिए ₹5,005 आयकर अदा करने को कहा गया है। जबकि मैं आपको बता दूँ कि उक्त अवधि में मेरी आय आयकर सीमा से निम्न है, लगता है किसी त्रुटिवश मेरी आय पर आयकर का निर्धारण कर दिया गया है।

आपसे प्रार्थना है कि मेरे खातों की जाँच कर मुझे आयकर से पूर्ण मुक्ति हेतु निर्देश जारी करें।

धन्यवाद ।
भवदीय,
शुभम वैश्य

प्रश्न 15.
आपके मोहल्ले में संगीत संध्या का कार्यक्रम होने वाला है। स्थानीय समिति उसका प्रचार करवाना चाहती है। आप उनके लिए लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए । (4)
अथवा
आप अनुराग जैन हैं। आपके मित्र का एस.एस.सी. परीक्षा के द्वारा क्लर्क पद पर चयन हुआ है। इस अवसर पर आप मित्र के लिए लगभग 40 शब्दों का शुभकामना एवं बधाई संदेश लिखिए |

अथवा

क्लर्क पद के चयन हेतु शुभकामना संदेश

दिनांक 12 अगस्त, 20XX
समय 2:00 बजे दोपहर

प्रिय मित्र,

आज तुम्हारी सरकारी नौकरी में चयन के बारे में ज्ञात हुआ। तुमको इसके लिए बहुत-बहुत बधाई। एस. एस. सी. का पेपर पास करना बहुत गर्व की बात है। तुम्हारी इतने सालों की मेहनत और लगन आज रंग लाई है। तुमने आज अपने परिवार का नाम रोशन कर दिया। मैं तुम्हारे लिए आज बहुत खुश हूँ और भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि तुम अपने जीवन में इसी तरह उन्नति करते जाओ।

तुम्हारा मित्र
अनुराग जैन

 

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