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CBSE 10th Sample Paper Hindi A Set 11 With Solutions

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Tushar
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CBSE 10th Sample Paper Hindi A Set 11 With Solutions

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समय : 3 घंटे
पूर्णांक : 80

सामान्य निर्देश

  1. इस प्रश्न-पत्र में कुल 15 प्रश्न हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
  2. इस प्रश्न-पत्र में कुल चार खंड हैं – क, ख, ग, घ
  3. खंड-क में कुल 2 प्रश्न हैं, जिनमें उप- प्रश्नों की संख्या 10 है।
  4. खंड-ख में कुल 4 प्रश्न हैं, जिनमें उप- प्रश्नों की संख्या 20 है । दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए 16 उप- प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  5. खंड-ग में कुल 5 प्रश्न हैं, जिनमें उप- प्रश्नों की संख्या 20 है।
  6. खंड-घ में कुल 4 प्रश्न हैं, सभी प्रश्नों के साथ उनके विकल्प भी दिए गए हैं।
  7. प्रश्नों के उत्तर दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए लिखिए ।

खंड ‘क’ (अपठित बोध) (14 अंक)

इस खंड में अपठित गद्यांश व काव्यांश से संबंधित तीन बहुविकल्पीय (1 × 3 = 3) और दो अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक (2 × 2 = 4) प्रश्न दिए गए हैं।

प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (7)
जीवन में सफल वही होता है, जो उपयुक्त चुनाव करना जानता है। चुनाव करने में तनिक भी भूल-चूक होने से हानि सुनिश्चित होती है। कुछ चुनाव हमारे वश में नहीं होते; जैसे – माता-पिता का, जन्म-मृत्यु का आदि, किंतु कुछ चुनाव हमारे वश में होते हैं, जिन पर हमारी सफलता-असफलता निर्भर करती है; जैसे – अच्छी-बुरी संगति का चुनाव, आलस्य और परिश्रम का चुनाव आदि । संगति का चुनाव इन सब चुनावों में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस चुनाव पर हमारा आचरण, कर्म, विचार, भाषा, स्तर, मनुष्यता और हमारी सफलता-असफलता निर्भर करती है।

मनुष्य का चित्त बुराइयों और बुरे लोगों की ओर जल्दी आकृष्ट होता है। जिस तरह पानी सदा नीचे की ओर जाता है, उसी तरह मनुष्य का मन भी बुराइयों की ओर शीघ्र भागता है । जिस प्रकार ऊँचाई तक जाने में कष्ट उठाना पड़ता है, उसी प्रकार अच्छाई की ओर जाने में परिश्रम करना पड़ता है। हम विवेक से काम लेकर अच्छे और बुरे का चुनाव कर सकते हैं और इसी विवेक के आधार पर जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं, क्योंकि संगति मनुष्य को संमार्ग की ओर अग्रसर करती है।

संगति व्यक्ति को उच्च सामाजिक स्तर प्रदान करती है, विकास के लिए सुमार्ग की ओर प्रेरित करती है, बड़ी-से- बड़ी कठिनाइयों का सफलतापूर्वक सामना करने की शक्ति प्रदान करती है और सबसे बढ़कर व्यक्ति को स्वाभिमान प्रदान करती है। संगति के प्रभाव’ से पापी पुण्यात्मा और दुराचारी हो जाते हैं। ऋषियों की संगति के प्रभाव से ही, वाल्मीकि जैसे भयानक डाकू महान कवि बन गए तथा अंगुलिमाल ने महात्मा बुद्ध की संगति में आने से हत्या, लूटपाट के कार्य को छोड़कर सदाचार के मार्ग को अपनाया। संगति एक प्राण वायु है, जिसके संसर्ग मात्र से मनुष्य सदाचरण का पालन करने वाला तथा दयावान, विनम्र, परोपकारी एवं ज्ञानवान बन जाता है।

(ख) निम्नलिखित कथन पढ़कर नीचे दिए सही विकल्प का चयन कीजिए ।
जीवन में संगति का चुनाव महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि
1. इस पर हमारा आचरण निर्भर करता है।
2. इस पर हमारे कर्म निर्भर करते हैं।
3. इस पर हमारी सफलता-असफलता निर्भर करती है ।
4. इस पर हमारे विचार निर्भर करते हैं।
कूट
(i) केवल 2 सही है
(ii) 1 और 3 सही हैं
(iii) 1, 3 और 4 सही हैं
(iv) 1, 2, 3 और 4 सही हैं
उत्तर:
(iv) 1, 2, 3 और 4 सही हैं जीवन में संगति का चुनाव सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस चुनाव पर हमारा आचरण, कर्म, विचार, भाषा स्तर, मनुष्यता और हमारी सफलता-असफलता निर्भर करती है।

(ग) कथन (A) एक सफल व्यक्ति अपने विवेक के आधार पर ही सफलता प्राप्त कर सकता है।
कारण (R) अपने विवेक से ही उसे सही-गलत के चुनाव की जानकारी होती है।
कूट
(i) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या नहीं है।
उत्तर:
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कारण (R), कथन (A) की सही व्याख्या है। एक सफल व्यक्ति अपने विवेक की सहायता से सही-गलत का निर्णय करके जीवन में सफलता प्राप्त कर सकता है। अपने विवेक से ही उसे सही-गलत के चुनाव की जानकारी होती है।

(घ) संगति के प्रभाव का क्या परिणाम होता है?
उत्तर:
संगति के प्रभाव से पापी पुण्यात्मा और दुराचारी हो जाता है। इसलिए हमें संगति का चुनाव सोच-विचार करके करना चाहिए यह संगति ही है, जो मनुष्य को सुमार्ग की ओर प्रेरित करती है।

(ङ) ‘संगति एक प्राण वायु है’ पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि संगति में वह शक्ति है, जिसके द्वारा मनुष्य उचित दिशा पाकर सदाचरण का पालन करने वाला ज्ञानवान बन जाता है।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

बिन बैसाखी अपनी शर्तों पर, मैं मदमस्त चला।
सब्जबाग को दिखा-दिखा
दुनिया रह-रह मुसकाई ।
कंचन और कामिनी ने भी
अपनी छटा दिखाई।
सतरंगे जग के साँचे में, मैं न कभी ढला।।
चिनगारी पर चलते-चलते
रुका – झुका ना पल -छिन।
गिरे हुओं को रहा उठाता
गले लगाता अनुदिन ।
हलाहल पीते-पीते ही मैं जीवन-भर चला।।

कितने बढ़े – चढ़े द्रुत चलकर
शैलशिखर श्रृंगों पर ।
कितने अपनी लाश लिए
फिरते अपने कंधों पर ।
सबकी अपनी अलग नियति है, है जीने की कला।।
आँधी से जूझा करना ही बस आता है मुझको ।
पीड़ाओं के संग-संग जीना भाता है बस मुझको।
मैं तटस्थ, जो भी जग समझे कह ले बुरा-भला ।।

(क) कवि ने जीवन कैसे बिताया है?
(i) कष्टों से जूझकर और पीड़ाओं को चूमकर
(ii) दुःखियों के दुःख दूर कर और निराश्रितों को आश्रय देकर
(iii) डूबते को बचाकर और भूखों को भोजन देकर
(iv) क्रांति का बिगुल बजाकर और मातृभूमि को जीवन देकर
उत्तर:
(i) कष्टों से जूझकर और पीड़ाओं को चूमकर कवि कहता है कि उसने जीवन को कष्टों से जूझकर तथा पीड़ाओं को चूमकर बताया है। वह हमेशा गिरते हुए व्यक्ति को उठाता रहा। उसने अपने जीवन में आई सभी विपत्तियों का साहस के साथ सामना किया।

(ख) इस कविता के केंद्रीय भाव हेतु दिए गए कथनों को पढ़कर सही विकल्प का चयन कीजिए ।
1. मनुष्य को सुख-दुःख एकसमान रहना चाहिए।
2. मनुष्य को कष्टों में अवलंब तलाश करना चाहिए ।
3. मनुष्य को स्वयं को भाग्य के सहारे नहीं छोड़ना चाहिए ।
4. मनुष्य को आँधियों के साथ जूझना चाहिए
(i) केवल 2 सही है
(ii) 1 और 3 सही हैं
(iii) 1, 3 और 4 सही हैं
(iv) 1, 2, 3 और 4 सही हैं
उत्तर:
(ii) 1 और 3 सही हैं मनुष्य को सुख – दुःख में समान रहना चाहिए और विपत्तियों में भी जीवन हँसकर बिताना चाहिए। कभी भी स्वयं को भाग्य के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए |

(ग) कथन (A) वह मनुष्य सतरंगी
संसार में मोहित नहीं हो सकता।
कारण (R) जो अपने सिद्धान्तों से प्यार और सुख-दुख में तटस्थ रहता है।
कूट
(i) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(ii) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है ।
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कथन (A), कारण (R) की सही व्याख्या करता है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं, परंतु कथन (A), कारण (R) की सही व्याख्या नहीं करता है ।
उत्तर:
(iii) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं तथा कथन (A), कारण (R) की सही व्याख्या करता है। प्रस्तुत कविता के अनुसार वह मनुष्य जो सतरंगी संसार में मोहित नहीं होता है अर्थात् यहाँ के देख – दिखावे से प्रभवित नहीं होता और अपने सिद्धांतों से प्यार करता है तथा सदैव अपने दुःख-सुख में हमेशा तटस्थ अर्थात् परिवर्तनशील नहीं होता, वह मनुष्य ही आदर्श पुरुष है।

(घ) कवि को जीवन में क्या रास नहीं आया?
उत्तर:
कवि ने अपने जीवन में सुख और भोगों को स्थान नहीं दिया। वह हमेशा सभी परिस्थितियों में एक जैसा ही रहा। उसने अपने सिद्धांतों के अनुकूल जीवन जिया । दुःख और सुख में उसने किसी को भी अपना सहारा नहीं बनाया। अतः कवि को जीवन में सुखमय क्षणों को भोगना रास नहीं आया, क्योंकि उसने इनके प्रति केवल तटस्थता की भूमिका निभाई।

(ङ) ‘सबकी अपनी अलग नियति है, है जीने की कला’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति का आशय है कि संसार में सबकी जीवन-शैली भिन्न-भिन्न प्रकार की है। सभी के जीवन जीने का तरीका अलग-अलग है। अतः इसका यह प्रभाव पड़ता है कि कोई तो अत्यधिक उन्नति करता है अर्थात् उत्तरोत्तर सफलता को प्राप्त करता है तथा कोई सफलता न मिलने पर निराश हो जाता है।

खंड ‘ख’ (व्यावहारिक व्याकरण) (16 अंक)

व्याकरण के लिए निर्धारित विषयों पर अतिलघूत्तरात्मक व लघूत्तरात्मक 20 प्रश्न दिए गए हैं, जिनमें से केवल 16 प्रश्नों (1 × 16 = 16) के उत्तर देने हैं।

प्रश्न 3.
निर्देशानुसार ‘वाक्य भेद’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (1 × 4 = 4)

(क) ‘बच्चे खेलते हुए झूम उठते हैं।’ प्रस्तुत वाक्य का रचना के आधार पर भेद बताइए ।
उत्तर:
प्रस्तुत वाक्य रचना के आधार पर सरल वाक्य है।

(ख) ‘रीता पढ़ रही है और लिख रही है।’ इसे सरल वाक्य में परिवर्तित कीजिए ।
उत्तर:
रीता पढ़कर लिख रही है।

(ग) ‘रघु सड़क पर चल रहा था, उसे एक साँप दिखाई दिया।’ इसे संयुक्त वाक्य में परिवर्तित कीजिए।
उत्तर:
रघु सड़क पर चल रहा था और उसे एक साँप दिखाई दिया।

(घ) ‘पत्नी के बीमार होने के कारण वह कार्यालय नहीं गया।’ इसे मिश्र वाक्य में परिवर्तित कीजिए ।
उत्तर:
वह इसलिए कार्यालय नहीं गया, क्योंकि उसकी पत्नी बीमार है।

(ङ) जब आज धूप निकली तब हम खेलने के लिए गए। प्रस्तुत वाक्य का रचना के आधार पर वाक्य भेद बताइए ।
उत्तर:
रचना के आधार पर प्रस्तुत वाक्य मिश्र वाक्य है।

प्रश्न 4.
निर्देशानुसार ‘वाच्य’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (1 × 4 = 4)

(क) ‘शीला अग्रवाल द्वारा लेखिका के साहित्य का दायरा बढ़ाया गया।’ कर्तृवाच्य में परिवर्तित कीजिए |
उत्तर:
शीला अग्रवाल ने लेखिका के साहित्य का दायरा बढ़ाया।

(ख) ‘क्या यह पत्र तुम्हारे द्वारा लिखा गया है?’ वाच्य का प्रकार बताइए ।
उत्तर:
प्रस्तुत वाच्य कर्मवाच्य है।

(ग) पुलिस द्वारा चेतावनी दी गई।’ कर्तृवाच्य में परिवर्तित कीजिए ।
उत्तर:
पुलिस ने चेतावनी दी।

(घ) ‘मैं अब नहीं खा पाता।’ भाववाच्य में परिवर्तित कीजिए ।
उत्तर:
मुझसे अब नहीं खाया जाता ।

(ङ) ‘पक्षी बाग छोड़कर नहीं उड़े।’ कर्मवाच्य में परिवर्तित कीजिए ।
उत्तर:
पक्षियों द्वारा बाग छोड़कर नहीं उड़ा गया।

प्रश्न 5.
निर्देशानुसार ‘पद परिचय’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए । (1 × 4 = 4)
निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित पदों का पद परिचय लिखिए।

(क) पहले श्याम यहाँ रहता था।
उत्तर:
श्याम व्यक्तिवाचक संज्ञा, पुल्लिंग, एकवचन, कर्ता कारक

(ख) उन्होंने मुझे इनाम में दस रुपये दिए।
उत्तर:
रुपये जातिवाचक संज्ञा, बहुवचन, पुल्लिंग, कर्म कारक

(ग) दौड़कर बाज़ार चले जाओ।
उत्तर:
दौड़कर पूर्वकालिक क्रिया, रीतिवाचक क्रिया-विशेषण

(घ) समूचा ‘गाँव खेतों में उतर पड़ा है।
उत्तर:
उतर पड़ा है अकर्मक संयुक्त क्रिया, आसन्न भूत, कर्तृवाच्य

(ङ) वह यहाँ अपने आप आया था। आप वहाँ कल चले जाते ।
उत्तर:
पहला आप – निजवाचक सर्वनाम, दूसरा आप — अन्य पुरुषवाचक सर्वनाम

प्रश्न 6.
निर्देशानुसार ‘अलंकार’ पर आधारित पाँच प्रश्नों में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए (1 × 4 = 4)

(क) ‘लखन नट आहुति सरिस भृगुवरकोप कृसानु ।’ रेखांकित काव्य पंक्ति में कौन-सा अलंकार निहित है ?
उत्तर:
रेखांकित काव्य पंक्ति भृगुवर को कृसानु’ में रूपक अलंकार है । यहाँ उपमेय व उपमान, भृगुवरकोप व कृसानु का अभेद आरोपण के कारण रूपक अलंकार है ।

(ख) ‘एक दिन बोला यूँ पुष्प डाल से, लगते हैं कुछ हाल तुम्हारे निढ़ाल से’ इन काव्य-पंक्तियों में कौन-सा अलंकार प्रयुक्त है ?
उत्तर:
प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में पुष्प डाल से बोलने जैसी मानवीय क्रिया कर रहा है। अत: यहाँ मानवीकरण अलंकार है ।

(ग) प्रातः नभ था, बहुत गीला शंख जैसे।’ इस काव्य पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति में उपमेय- नभ, उपमान- शंख, समानतासूचक शब्द जैसे समान धर्म – गीला है। इसमें ‘नभ’ की उपमा दी जाने के कारण यहाँ उपमा अलंकार है।

(घ) “बहुत काली सिल जरा-से लाल केसर से कि जैसे धुल गई हो’ इन पंक्तियों में कौन-सा अलंकार प्रयुक्त है?
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति में बहुत काले पत्थर की जरा-से लाल केसर से धुलने की कल्पना की गई है। अतः यहाँ उत्प्रेक्षा अलंकार है ।

(ङ) “मैं बरजी कैबार तू, इतकल लेती करौटं ।
पंखुरी लगे गुलाब की परि है गात खरौटं ।।
इन काव्य पंक्तियों में कौन-
न-सा अलंकार प्रयुक्त है?
उत्तर:
यहाँ गुलाब की पंखुड़ियों से चोट लगने की बात कही गई है, जो कि असंभव है। अतः यहाँ अतिशयोक्ति अलंकार है ।

खंड ‘ग’ (पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक) (30 अंक)

इस खंड में पाठ्यपुस्तक एवं पूरक पाठ्यपुस्तक से प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।

प्रश्न 7.
निम्नलिखित पठित गद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)

आज़ाद हिंद फौज के मुकदमे का सिलसिला था। सभी कॉलिजों, स्कूलों, दुकानों के लिए हड़ताल का आह्वान था। जो-जो नहीं कर रहे थे, छात्रों का एक बहुत बड़ा समूह वहाँ जा-जाकर हड़ताल करवा रहा था। शाम को अजमेर के सभी विद्यार्थी वर्ग चौपड़ ( मुख्य बाज़ार का चौराहा) पर इकट्ठा हुए और फिर हुई भाषणबाजी । इस बीच पिताजी के एक निहायत दकियानूसी मित्र ने घर आकर अच्छी तरह पिताजी की लू उतारी, “अरे! उस मन्नू की तो मत मारी गई है, पर भंडारी जी आपको क्या हुआ? ठीक है, आपने लड़कियों को आजादी दी, पर देखते आप, जाने कैसे-कैसे उल्टे-सीधे लड़कों के साथ हड़तालें करवाती, हुड़दंग मचाती फिर रही है वह । हमारे आपके घरों की लड़कियों को शोभा देता है यह सब ? कोई मान-मर्यादा, इज्जत आबरू का ख्याल भी रह गया है आपको या नहीं?

(क) कथन (A) आज़ाद हिंद फौज के मुकदमे का सिलसिला था ।
कारण (R) अध्यापकों का बड़ा समूह हड़तालें करवा रहा था।
(i) कथन (A) गलत है, किंतु कारण (R) सही है।
(ii) कथन (A) और कारण (R) दोनों गलत हैं।
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है।
(iv) कथन (A) और कारण (R) दोनों सही हैं।
उत्तर:
(iii) कथन (A) सही है, किंतु कारण (R) गलत है । गद्यांश में आज़ाद हिंद फौज के मुकदमे के सिलसिले के विषय में बताया
गया है, जहाँ छात्रों का बड़ा समूह हड़तालें करवा रहा था।

(ख) ‘लेखिका के पिता के मित्र को लेखिका के विषय में पता चला’ कथन के लिए उचित विकल्प का चयन कीजिए
1. लेखिका अध्यापकों के साथ नारे लगाती है।
2. लेखिका लड़कों के साथ हड़तालें करवाती है।
3. लेखिका लड़कों के साथ हुड़दंग मचाती है।
4. लेखिका भाषणबाजी से दूर रहती है।
कूट
(i) कथन 1 और 2 सही हैं।
(ii) कथन 1 और 3 सही हैं।
(iii) कथन 2 और 3 सही हैं।
(iv) कथन 3 और 4 सहीं हैं।
उत्तर:
(iii) कथन 2 और 3 सही हैं। लेखिका के पिता के मित्र को लेखिका का लड़कों के साथ मिलकर हड़तालें करवाना व हुड़दंग मचाने के विषय में पता चलता है। इसी घटना की शिकायत वे लेखिका के पिता से करते हैं।

(ग) लेखिका ने पिता के मित्र को किस ‘शब्द’ से संबोधित किया?
(i) आंदोलनकारी विचारधारा वाले व्यक्ति
(ii) भाषण देने वाले व्यक्ति
(iii) निहायत संग्रामी विचारधारा वाले व्यक्ति
(iv) निहायत दकियानूसी स्वभाव के व्यक्ति
उत्तर:
(iv) निहायत दकियानूसी स्वभाव के व्यक्ति लेखिका ने पिता के मित्र को ‘निहायत दकियानूसी’ कहा, क्योंकि उन्होंने घर जाकर पिताजी को लेखिका के विषय में नकारात्मक बातें कही।

(घ) “अरे। उस मन्नू की तो मत मारी गई है।” प्रस्तुत कथन में वक्ता और श्रोता क्रमशः हैं
(i) पिताजी – पिताजी के मित्र
(ii) प्रिंसिपल – पिताजी
(iii) अध्यापक – पिताजी
(iv) पिताजी के मित्र – पिताजी
उत्तर:
(iv) पिताजी के मित्र – पिताजी प्रस्तुत गद्यांश में पिताजी के दकियानूसी मित्र मन्नू के हड़तालें कराने आदि के विषय में मन्नू के पिताजी को बता रहे हैं।

(ङ) लेखिका के पिता के मित्र ने लेखिका की कैसी छवि उसके पिता के सामने प्रस्तुत की?
(i) सकारात्मक छवि
(ii) नकारात्मक छवि
(iii) अतिशयोक्तिपूर्ण छवि
(iv) ये सभी
उत्तर:
(ii) नकारात्मक छवि लेखिका के पिता के मित्र ने लेखिका की नकारात्मक छवि उसके पिता के सामने प्रस्तुत की, जबकि वह स्वाधीनता संग्राम के आंदोलन में अपना बहुमूल्य योगदान दे रही थी।

प्रश्न 8.
गद्य पाठों के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)

(क) पाठ ‘बालगोबिन भगत’ में अपने पुत्र से अत्यधिक स्नेह करने के उपरांत भी बालगोबिन भगत ने उसकी मृत्यु होने पर उसे गले क्यों नहीं लगाया?
उत्तर:
बालगोबिन भगत अपने इकलौते पुत्र से बहुत प्यार करते थे। उन्होंने एक सुशील लड़की से अपने पुत्र का विवाह किया। जब . बीमारी के कारण उसकी मृत्यु हो गई, तो उन्हें इसका दुःख तो बहुत हुआ, किंतु उस दुःख को दिल से नहीं लगाया। उसे ईश्वर की इच्छा मानकर स्वीकार कर लिया। उनके अनुसार, आत्मा परमात्मा से जा मिली है, इसलिए दुःख नहीं, उत्सव मनाना चाहिए। इसी विचारधारा के कारण उन्होंने अपना दुःख व्यक्त नहीं किया और पुत्र को गले नहीं लगाया।

(ख) जब नवाब साहब ने खीरा खाया ही नहीं, तो उनकी ओर से ‘डकार’ का शब्द किस प्रकार सुनाई दिया? ‘लखनवी अंदाज़’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
नवाब साहब ने खीरे की फाँकों में जीरा- नमक लगाया, उन पर थोड़ी मिर्च डाली और उसके बाद उन्होंने सूँघ सूंघकर उन फाँकों को एक-एक करके ट्रेन की खिड़की से बाहर फेंक दिया, क्योकि लेखक ने खीरे को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया था। खीरे को न खाने पर भी केवल उसे सूँघ लेने से ही नवाब साहब को परम संतुष्टि हो गई। इसी कारण खीरा न खाने पर भी उनकी ओर से ‘डकार का शब्द सुनाई दिया।

(ग) आपके विचार से ‘पान वाला’ या ‘कैप्टन’ में से असली लँगड़ा कौन है? ‘नेताजी का चश्मा’ पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
शारीरिक दृष्टिकोण से देखा जाए, तो कैप्टन लँगड़ा है, परंतु ‘असली लँगड़ा’ पान वाला है। कैप्टन की विकलांगता ईश्वर प्रदत्त है, वह देशभक्तों के प्रति सम्मान की भावना रखता है तथा देशभक्ति जैसे महत्त्वपूर्ण मूल्य का निर्वाह भी करता है, परंतु पान वाले के मन में देशभक्ति की भावना नहीं है। वह एक अस्वस्थ तथा संवेदनहीन मानसिकता का परिचय देते हुए देशभक्तों का उपहास करता है। अतः असली लँगड़ा ‘पान वाला’ ही है।

(घ) “मेरे मालिक सुर बख्श दे। सुर में वह तासीर पैदा कर कि आँखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ ।” ‘नौबतखाने में इबादत’ पाठ के आधार पर बिस्मिल्ला खाँ के इस कथन को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
सुमधुर सुरों को सुनकर व्यक्ति इतना भाव-विभोर हो जाता है। कि उसकी आँखों से आँसू निकल आते हैं। ये आँसू सच्चे मोती की तरह होते हैं। इनके निकल आने पर सुर की परीक्षा हो जाती है। बिस्मिल्ला खाँ नमाज के बाद सजदे में खुदा से ऐसे ही सुर की माँग करते हैं, वे सुर को खुदा की देन मानते थे। उनके लिए सुरों से बढ़कर कोई चीज़ कीमती नहीं थी।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित पठित पद्यांश पर आधारित बहुविकल्पीय प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प चुनकर लिखिए। (1 × 5 = 5)

मधुप गुन-गुनाकर कह जाता कौन कहानी यह अपनी,
मुरझाकर गिर रहीं पत्तियाँ देखो कितनी आज घनी ।
इस गंभीर अनंत- नीलिमा में असंख्य जीवन – इतिहास
यह लो, करते ही रहते हैं अपना व्यंग्य – मलिन उपहास
तब भी कहते हो-कह डालूँ दुर्बलता अपनी बीती ।
तुम सुनकर सुख पाओगे, देखोगे – यह गागर रीती ।
किंतु कहीं ऐसा न हो कि तुम ही खाली करने वाले
अपने को समझो, मेरा रस ले अपनी भरने वाले ।

(क) प्रस्तुत काव्यांश में क्रमशः कौन किसके द्वारा अपनी कथा का उल्लेख करता है?
(i) भौरें-कवि
(ii) कवि – भौरें
(iii) कवि – तितली
(iv) कवि-आकाश
उत्तर:
(ii) कवि-भौंरें प्रस्तुत पद्यांश में कवि भौरें के माध्यम से अपनी कथा का उल्लेख करते हैं।

(ख) ‘कह डालूँ दुर्बलता अपनी बीती’ प्रस्तुत पंक्ति में किस स्थिति की ओर संकेत किया गया है? सही विकल्प का चयन कीजिए।
1. कवि का अपने जीवन का गुणगान करने की ओर
2. कवि का अपने मन के खालीपन को बताने की ओर
3. कवि का अपने जीवन की कमजोरियों व कमियों को बताने की ओर
4. कवि का अपने पक्षों की विषय में बताने की ओर
कूट
(i) केवल कथन 3 सही है।
(ii) कथन 1 और 2 सही हैं।
(iii) कथन 3 और 4 सही हैं।
(iv) कथन 2 और 3 सही हैं।
उत्तर:
(i) केवल कथन 3 सही है । ‘कह डालूँ दुर्बलता अपनी बीती ‘ प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने अपने जीवन की कमजोरियों व कमियों को बताने की ओर संकेत किया है।

(ग) कवि ने अपने मन और भाव को क्रमशः किसके समान बताया है?
(i) समुद्र व उपहास
(ii) खाली गागर व रस
(iii) प्रकृति व नीलिका
(iv) दुर्बलता व सुख
उत्तर:
(ii) खाली गागर व रस कवि ने अपने मन को खाली गागर व भाव को इस समान बताया है।

(घ) कवि के अनुसार, उसके खाली जीवन को देखकर किसे सुख प्राप्त होगा ?
(i) पुत्र को
(ii) समाज को
(iii) मित्रों को
(iv) पत्नी को
उत्तर:
(iii) मित्रों को कवि के अनुसार, उसके खाली जीवन को देखकर उसके मित्रों को सुख प्राप्त होगा।

(ङ) निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
1. कवि के जीवन की इच्छाएँ उचित वातावरण न पाकर मुरझाकर गिर रही हैं ।
2. महान पुरुषों की कथाओं को पढ़कर ऐसा लगता है जैसे वह स्वयं का उपहास करते हैं।
3. कवि अपने जीवन में अनेक सुखों का आनंद ले चुके थे।
कूट
इन कथनों में से कौन – सा /से कथन सही है/हैं?
(i) केवल 1
(ii) 1 और 2
(iii) केवल 3
(iv) 2 और 3
उत्तर:
(ii) 1 और 2 गद्यांश के अनुसार, कवि के जीवन की इच्छाएँ उचित वातावरण न पाकर मुरझाकर गिर रही हैं तथा महान पुरुषों की कथाओं को पढ़कर ऐसा लगता है जैसे वह स्वयं का उपहास करते हैं।

प्रश्न 10.
कविताओं के आधार पर निम्नलिखित चार प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 25-30 शब्दों में लिखिए। (2 × 3 = 6)

(क) “राज धरम तो यहै ‘सूर’, जो प्रजा ने जाहि सताए” ‘पद’ के आधार पर बताइए कि पंक्ति में गोपियों की कौन-सी आकांक्षा निहित है?
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति में गोपियाँ कृष्ण को राजधर्म का स्मरण कराते हुए कहती हैं कि प्रजा को सताना या उन पर अत्याचार करना राजधर्म नहीं है। इस उक्ति के पीछे उनकी यह आकांक्षा निहित है कि कृष्ण स्वयं गोपियों से मिलने के लिए उनके पास आएँ और उनकी विरह व्यथा को दूर करें।

(ख) ‘उत्साह’ कविता के आधार पर बताइए कि कवि ने किसके विरोध पर बल दिया है?
उत्तर:
‘उत्साह’ एक प्रतीकात्मक कविता है, जिसमें कवि निराला ने बादलों के माध्यम से सामाजिक विकृतियों का विरोध करने पर बल दिया है। उनका मानना है कि समाज में परिवर्तन केवल क्रांति के माध्यम से ही लाया जा सकता है।

(ग) ‘संगतकार’ काव्य के आधार पर बताइए कि संगतकार द्वारा स्थायी को सँभाल रखने की तुलना किन-किन बातों से की गई है?
उत्तर:
संगतकार द्वारा स्थायी को सँभाले रखने की तुलना मुख्य गायक के गायन के उपरांत पीछे छूटे हुए सामान को समेटने से की गई है, क्योंकि सुरों के साथ उसके सामान को संभालना वह अपना दायित्व समझता है। इसके अतिरिक्त उसकी तुलना किसी नौसिखिए अर्थात् नए-नए सीखने वाले के सुरों में होने वाले भटकाव की याद दिलाने वाले से की है, जो उसके भटकाव को दूर करने में उसकी सहायता करते थे।

(घ) ‘क्रोध से बात और अधिक बिगड़ जाती है’ राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद कविता के आलोक में इस कथन की पुष्टि कीजिए ।
उत्तर:
‘क्रोध से बात और अधिक बिगड़ जाती है’ राम-लक्ष्मण परशुराम संवाद कविता के आलोक में यह कथन बिल्कुल सत्य है। परशुराम के अत्यधिक क्रोध करने के कारण सभा में तनाव का वातावरण उत्पन्न हो गया। यदि परशुराम स्वयंवर में आकर पहले कारण को सुनते और समझते तथा विरोध नहीं करते, तो बात बिगड़ती नहीं और उनमें तथा लक्ष्मण के बीच इतना वाद-विवाद नहीं होता।

प्रश्न 11.
पूरक पाठ्यपुस्तक के पाठों पर आधारित निम्नलिखित तीन प्रश्नों में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए । (4 × 2 = 8)

(क) पहाड़ों पर पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों का जीवन अधिक कठिनाइयों से भरा है। उन कठिनाइयों का निवारण वे कर्त्तव्यपरायणता से ही करती हैं । पाठ ‘साना-साना हाथ जोड़ि ́ के आधार पर सोदाहरण स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
पहाड़ों पर पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों का जीवन अधिक कठिनाइयों से भरा होता है, क्योंकि घरेलू ज़िम्मेदारियों का भार स्त्रियों को ही वहन करना पड़ता है। घर के सभी सदस्यों के लिए पीने के पानी का प्रबंध करना, खाना बनाने के लिए ईंधन इकट्ठा करना, मवेशियों को चराना आदि कार्य स्त्रियों को ही करने पड़ते हैं। इसके लिए उन्हें काफ़ी परिश्रम करना पड़ता है। अपने परिवार की आर्थिक सहायता के लिए वे सड़कें बनाने जैसा दुसाध्य कार्य भी करती हैं। वे इन सभी कठिनाइयों का निवारण अत्यंत कर्त्तव्यपरायणता से करती हैं। भूख, मृत्यु, गरीबी और जीवित रहने की जंग में भी वे मुस्कुराकर अपने कर्तव्यों का सहज भाव से पालन करती हैं। ‘साना-साना हाथ जोड़ि’ पाठ में पहाड़ी क्षेत्रों के कारण पहाड़ों को काटकर रास्ता बनाना पड़ता है । पत्थरों पर औरतें बैठकर पत्थरों को तोड़ती हैं, उनके हाथ में कुदाल व हथौड़े होते हैं। कई स्त्रियों की पीठ पर बँधी टोकरी में उनके बच्चे बँधे रहते हैं और वे साथ-साथ काम करते रहते हैं। स्पष्टत: पहाड़ों पर पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों का जीवन अधिक कठिनाइयों से भरा है।

(ख) ‘माता का अँचल’ पाठ के आधार पर बताइए कि तत्कालीन व वर्तमान ग्रामीण संस्कृति में आपको क्या परिवर्तन दिखाई देते हैं तथा इन्होंने हमारे मूल्यों को कितना प्रभावित किया है?
उत्तर:
‘माता का अँचल’ उपन्यास में तीस के दशक की ग्राम्य संस्कृति का वर्णन किया गया है, जिसमें लोगों के बीच में भाईचारा, सहयोग और आपसी प्रेम था। बच्चे अपने परिवार के सदस्यों से अत्यंत घुले-मिले रहते थे। आज की ग्रामीण संस्कृति में अनेक परिवर्तन दिखाई देते हैं; जैसे- सादगी का स्थान चकाचौंध और बनावटीपन ने ले लिया है, व्यवहार और बातचीत में सादगी के स्थान पर चालाकी तथा धूर्तता आ गई है। सुख-दुःख में परिवार के सदस्य पहले की भाँति एकसाथ एकत्र नहीं हो पाते हैं। अब संबंधों में भी अपनापन नहीं रहा है, उनमें धन और स्वार्थ आ गया है। इन परिवर्तनों ने हमारे मूल्यों को अत्यधिक प्रभावित किया है। अब लोगों के बीच वह आत्मीयता, प्रेम, सहयोग नहीं दिखाई देता, जो तत्कालीन संबंधों में दिखाई देता था ।

(ग) जापान में जब हिरोशिमा और उस अस्पताल को देखा जहाँ रेडियम पदार्थ से आहत लोग वर्षों से कष्ट पा रहे थे, उन्हें देखकर यह प्रत्यक्ष अनुभव हुआ कि अनुभव से अनुभूति गहरी चीज है। ‘मैं क्यों लिखता हूँ’ पाठ के आधार पर प्रस्तुत कथन के विषय में अपने विचार स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
एक बार लेखक ने जापान जाने पर हिरोशिमा के उस अस्पताल को भी देखा, जहाँ रेडियोधर्मी पदार्थ से आहत लोग वर्षों से कष्ट पा रहे थे। इस प्रकार उसे इसका प्रत्यक्ष अनुभव हुआ। उसे लगा कि कृतिकार के लिए अनुभव से अनुभूति गहरी चीज़ है। यही कारण है कि हिरोशिमा में सब देखकर भी उसने तत्काल कुछ नहीं लिखा। फिर एक दिन उसने वहीं सड़क पर घूमते हुए देखा कि एक जले हुए पत्थर पर एक मानव की लंबी उजली छाया है। उसकी समझ में आया कि विस्फोट के समय कोई वहाँ खड़ा रहा होगा और विस्फोट से बिखरे हुए रेडियोधर्मी पदार्थ की किरणों ने उसे भाप बनाकर उड़ा दिया होगा। यह देखकर उसे लगा कि समूची ट्रेजडी जैसे पत्थर पर लिखी गई है। अणु विस्फोट के वे क्षण उसके मन में साकार हो उठें।

खंड ‘घ’ (रचनात्मक लेखन) (20 अंक)

इस खंड में रचनात्मक लेखन पर आधारित प्रश्न पूछे गए हैं, जिनके निर्धारित अंक प्रश्न के सामने अंकित हैं।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित तीन विषयों में से किसी एक विषय पर लगभग 120 शब्दों में एक अनुच्छेद लिखिए | (6 × 1 = 6)

(क) सिकुड़ते वन बिगड़ता पर्यावरण
संकेत बिंदु

  • भूमिका
  • वनों का महत्त्व
  • सिकुड़ते वन
  • पर्यावरण पर प्रभाव

उत्तर:
सिकुड़ते वन बिगड़ता पर्यावरण
आज विश्व में विकास की अंधी दौड़ में बड़ी तेजी से वनों को काटा जा रहा है, जिससे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ रहा है। इसी कारण पृथ्वी पर जीवों के अस्तित्व के लिए खतरा बढ़ता ही जा रहा है। वनों का हमारे जीवन में बहुत महत्त्व है। इनसे हमें जीवन रक्षक जड़ी-बूटियाँ, औषधियाँ ईंधन आदि मिलता है। साथ ही हरे-भरे पेड़ों से हमें ऑक्सीजन मिलती है, जो जीवित रहने के लिए परम आवश्यक है। वृक्षों से पर्यावरण संतुलन बना रहता है, क्योंकि जीवों द्वारा उत्सर्जित कार्बन डाइ ऑक्साइड को पेड़-पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में शोषित कर लेते हैं तथा बदले में ऑक्सीजन उत्सर्जित करते हैं। दूसरी ओर जंगलों के कारण बारिश होती है। वनों के रहने से पेड़ों की जड़ें मिट्टी को बाँधने का कार्य करती हैं, जिससे भूमि कटाव तथा भू-स्खलन नहीं होता या कम होता है। आधुनिक समय में जनसंख्या वृद्धि के साथ जंगलों का कटाव बढ़ गया है। पेड़ों और जंगलों से हम अपनी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं, परंतु तेजी से बढ़ती जनसंख्या के कारण मानव अपनी आवश्यकताओं के लिए अंधाधुंध जंगलों का विनाश कर रहा है। यही कारण है कि आज जंगलों का अस्तित्व खतरे में है।

शहरीकरण का दबाव बढ़ती आबादी और तेजी से विकास की भूख ने हमें प्रकृति से वंचित कर दिया है। जब मनुष्य ने जंगलों को काटकर बस्तियाँ बसाई थीं और खेती शुरू की, तब यह सभ्यता के विस्तार की शुरुआत थी, किंतु विकास के नाम पर मनुष्य की अपनी स्वार्थ पूर्ति के चलते जंगलों की कटाई का सिलसिला लगातार चलता रहा है। यदि जंगल नहीं बचे, तो हमारी सभ्यता का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाएगा। सिकुड़ते वनों के कारण अब हमें शुद्ध वायु, जल और धरातल मुश्किल से प्राप्त हो रहे हैं। यह हमारे स्वास्थ्य और जीवन के लिए कष्टदायक और अवरोधक स्थिति है। वनों के अभाव के कारण विभिन्न प्रकार के जंगली जीव-जंतुओं की भारी कमी हो रही है। इससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ रहा है। अंततः कहा जा सकता है कि पृथ्वी पर सभी प्राणियों का अस्तित्व बचाने के लिए पेड़-पौधों को मित्र समझकर उनकी रक्षा करना आवश्यक है। सरकार के साथ-साथ प्रत्येक नागरिक को यह संकल्प लेना चाहिए कि वह अपने निजी स्वार्थ के लिए वनों का विनाश करके पर्यावरण को हानि नहीं पहुंचाएगा।

(ख) सिनेमा और युवा पीढ़ी
संकेत बिंदु

  • भूमिका
  • युवा पीढ़ी पर सकारात्मक प्रभाव
  • युवा पीढ़ी पर नकारात्मक प्रभाव
  • उद्देश्य प्रधान सिनेमा की आवश्यकता

उत्तर:
सिनेमा और युवा पीढ़ी
आज के आधुनिक युग में सिनेमा का हमारे जीवन में प्रभाव बहुत अधिक बढ़ गया है। फिल्में हमारे जीवन का महत्त्वपूर्ण अंग बन गई हैं। बच्चे-बूढ़े सभी फिल्मों की नकल करने की कोशिश करते हैं। युवा पीढ़ी की बात की जाए तो सिनेमा का प्रभाव उन पर सबसे अधिक पड़ता है। सिनेमा के बहुत सारे प्रभाव हैं, जिनसे युवा पीढ़ी सबसे अधिक प्रभावित होती है। सिनेमा एक तरफ जहाँ हमारे जीवन पर अच्छा प्रभाव डालता है, वहीं दूसरी ओर इसका बुरा प्रभाव भी होता है। सभी फिल्में विभिन्न प्रकार के दर्शकों की रुचि को पूरा करने के लिए बनाई जाती हैं। ऐसी फिल्मों, जिनमें शिक्षाप्रद सामग्री शामिल होती है, को देखने से युवा पीढ़ी का ज्ञान बढ़ता है और उन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। दूसरी ओर, फिल्में युवा पीढ़ी के लिए मनोरंजन के रूप में भी सहायक सिद्ध होती हैं।

अत्यधिक सिनेमा देखना युवाओं के लिए समय की बर्बादी बन जाता है। कई युवाओं को फिल्मों की लत लग जाती है और वे अपना कीमती समय पढ़ाई के स्थान पर फिल्में देखने में नष्ट कर देते हैं। आजकल ऐसी कई फिल्में प्रदर्शित हो रही हैं, जो अपना दुष्प्रभाव सीधा दर्शक पर छोड़ती हैं, जिनमें नए-नए फैशन दर्शकों को दिखाए जाते हैं। फिल्मों में दिखाए गए चोरी, डकैती, बलात्कार के दृश्यों से युवा पीढ़ी पर बहुत अधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और देश की संस्कृति भी इससे प्रभावित होती है।

सिनेमा युवा पीढ़ी की मानसिकता पर सीधा प्रभाव डालता है। कभी-कभी तो वे स्वयं को खतरे में भी डाल लेते हैं और जीवन को बर्बाद कर लेते हैं। वास्तव में, सिनेमा के कुछ लाभ हैं, तो बहुत अधिक हानि भी हैं। फिल्मों ने हमारे सामाजिक जीवन को विकृत कर दिया है। इसमें सुधार लाने के लिए सामाजिक उद्देश्य प्रधान फिल्मों के निर्माण की आवश्यकता है। फिल्मों में मनोरंजन के साथ-साथ मार्गदर्शन भी होना चाहिए। युवा पीढ़ी देश की भावी निर्माता है। उन पर फिल्मों के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए ऐसी फिल्मों का निर्माण होना चाहिए, जिनमें मनोरंजन और मार्गदर्शन दोनों का सम्मिलित पुट हो ।

(ग) राष्ट्रीय एकता

संकेत बिंदु

  • भूमिका
  • राष्ट्रीय एकता के अभाव के दुष्परिणाम
  • महत्त्व एवं आवश्यकता
  • राष्ट्रीय एकता में बाधक तत्त्व

उत्तर:
राष्ट्रीय एकता
राष्ट्रीय एकता का तात्पर्य राष्ट्र के विभिन्न घटकों में परस्पर एकता, प्रेम एवं भाईचारा विद्यमान रहने से है, भले ही उनमें विचारों और आस्थाओं के आधार पर असमानता क्यों न हो। राष्ट्रीय एकता किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण मानी गई है। एकता में असीम शक्ति होती है, जिस प्रकार छोटी-छोटी इकाइयाँ परस्पर संगठित होकर बलवती हो जाती हैं, उसी प्रकार एक राष्ट्र की छोटी-छोटी इकाइयाँ अर्थात् उसके नागरिक मिलकर राष्ट्र को बलवान बनाते हैं। राष्ट्रीयता के लिए भौगोलिक सीमाएँ, राजनीतिक चेतना और सांस्कृतिक एकबद्धता अनिवार्य होती है। राष्ट्र की आंतरिक शांति तथा सुव्यवस्था बनाए रखने और बाहरी दुश्मनों से रक्षा के लिए राष्ट्रीय एकता परम आवश्यक है। यदि हम भारतवासी किसी कारणवश छिन्न-भिन्न हो गए, तो हमारी पारस्परिक फूट को देखकर अन्य देश इसका लाभ उठाने की कोशिश करेंगे। यदि हमारा देश संगठित है, तो विश्व पटल पर इसे बड़ी शक्ति बनने से कोई नहीं रोक सकता।

एकता तथा सामूहिक प्रयास के कारण देश सदा प्रगति के पथ पर अग्रसर रहता है। जिस प्रकार समाज, जाति या परिवार में एकता का अभाव होने से वह विखंडित हो जाता है, उसी प्रकार राष्ट्रीय एकता के अभाव में राष्ट्र खंडित हो जाता है । प्राचीन समय में हमारे देश में लोग मिल-जुलकर रहते थे, परंतु धीरे-धीरे यहाँ के लोग धर्म के नाम पर बँट गए और अपने-अपने व्यक्तिगत हितों के लिए आपस में ही लड़ने लगे। इसका परिणाम यह हुआ कि हमें अंग्रेज़ों ने अपना गुलाम बना लिया। सबसे अधिक दुःख की बात तो यह है कि हमें गुलामी के साथ-साथ विभाजन का दर्द भी सहना पड़ा। अतः हमें अपने इतिहास से सीख लेकर अपनी राष्ट्रीय एकता को बनाए रखना चाहिए, जिससे भविष्य में कोई हमारा शोषण न कर पाए । यद्यपि अंग्रेज़ों से तो हम आज़ाद हो गए हैं, परंतु अभी भी हम देख रहे हैं कि आतंकवाद, सांप्रदायिकता, क्षेत्रीयता, जातीयता, अशिक्षा आदि ने देश को आक्रांत कर रखा है। ये सभी हमारी राष्ट्रीय एकता के विकास में बाधक हैं। अतः हमें शीघ्र ही इनका समाधान करना होगा।

प्रश्न 13.
आप कंचन मिश्रा हैं। अपने क्षेत्र में बिजली वितरण की अव्यवस्था की ओर बिजली अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने हेतु दैनिक जागरण अ. ब. स. नगर के संपादक को एक समाचार प्रकाशित करने का अनुरोध करते हुए लगभग 100 शब्दों में पत्र लिखिए |
अथवा
आप काव्य चौधरी हैं। आपके पिताजी के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने पर आपके मित्र संभव ने आपकी बहुत सहायता की तथा आपको स्थिति का सामना करने का हौसला दिया, उसे धन्यवाद देते हुए 100 शब्दों में एक पत्र लिखिए |
उत्तर:
परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 25 फरवरी, 20XX

सेवा में,

प्रधान संपादक महोदय,
दैनिक जागरण,
अ.ब. स. नगर,
दिल्ली |

विषय विद्युत वितरण की अव्यवस्था और उससे उत्पन्न परेशानी हेतु ।

महोदय,

आपके लोकप्रिय समाचार पत्र के माध्यम से मैं अपने क्षेत्र में विद्युत वितरण की अव्यवस्था और इससे होने वाली परेशानियों के विषय में सरकार तथा संबंधित विभाग का ध्यान आकर्षित कराना चाहती हूँ। मुझे आशा है कि विषय की गंभीरता को देखते हुए आप इस पत्र को अपने समाचार-पत्र में अवश्य ही प्रकाशित करेंगे। आजकल हमारे शहर में विद्युत वितरण विभाग की ओर से बिजली की अत्यधिक कटौती की जा रही है। दिन में कटौती के साथ-साथ रात्रि में भी कटौती की जा रही है। इस गर्मी के मौसम में बिजली की इस प्रकार की जाने वाली कटौती जन-जीवन के लिए संकट उत्पन्न कर रही है। विभिन्न क्षेत्रों में प्रमुख उद्योग, व्यापारिक संस्थान तथा विद्यार्थी इससे बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं।

मेरा प्रदेश सरकार तथा विद्युत विभाग के अधिकारियों से विनम्र अनुरोध है कि समस्या की गंभीरता को देखते हुए विद्युत आपूर्ति नियमित कराने का प्रबंध किया जाए, ताकि क्षेत्रवासियों को इस भयंकर गर्मी से राहत मिल सके।

धन्यवाद ।
भवदीया
कंचन मिश्रा

अथवा

परीक्षा भवन,
दिल्ली।
दिनांक 12 जुलाई, 20XX
प्रिय मित्र संभव,

सप्रेम नमस्कार !

मित्र कल ही मुझे तुम्हारा पत्र मिला। पत्र पढ़कर पता चला कि तुम मेरे पिताजी के स्वास्थ्य को लेकर बहुत चिंतित हो । मित्र, पिताजी का स्वास्थ्य अब पहले से बेहतर है और वे धीरे-धीरे दुर्घटना के प्रभाव से उबर रहे हैं। अकस्मात् ही सड़क दुर्घटना में पिताजी को गंभीर चोट लगने से मेरे और ” मेरे परिवार के ऊपर विपत्तियों का पहाड़ ही टूट पड़ा था। उस समय तुमने मेरे साथ अस्पताल में रुककर मेरी बहुत सहायता की और मुझे इस मुश्किल वक्त का सामना करने की हिम्मत दी । तुम्हारे साथ के कारण ही मैं पिताजी की उचित देखभाल कर सका। इस विपत्ति के समय साथ देकर तुमने यह सिद्ध कर दिया कि तुम मेरे सच्चे मित्र हो । मैं हृदय से तुम्हारा आभार प्रकट करता हूँ। भविष्य में यदि मैं तुम्हारे कुछ काम आ सकूँ, तो मुझे बड़ी खुशी होगी।
घर के सभी बड़ों को मेरा प्रणाम ।

तुम्हारा मित्र
काव्य चौधरी

प्रश्न 14.
आप प्रतिभा शर्मा हैं। आप एक समाजसेविका के रूप में कार्य कर रही हैं और आँगनबाड़ी में सहायिका पद के लिए आवेदन करना चाहती हैं, इसके लिए आप अपना एक संक्षिप्त स्ववृत्त (बायोडाटा) लगभग 80 शब्दों तैयार कीजिए। (5)
अथवा
आप जितेंद्र त्यागी हैं। आप शिपिंग कंपनी से सामान भेजने के लिए जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं। इस संदर्भ में लगभग 80 शब्दों में एक ई-मेल लिखिए।
उत्तर:
स्ववृत्त
नाम : प्रतिभा शर्मा
पिता का नाम : विराज शर्मा
माता का नाम : साक्षी शर्मा
जन्म तिथि : 5 जुलाई, 19XX
वर्तमान पता : मकान नंबर 32, शिवाजी नगर, अजमेर (राजस्थान)
स्थायी पता : अ- 69, सूर्या कॉलोनी, अजमेर (राजस्थान)
दूरभाष नंबर : 0140-56283XX
मोबाइल नंबर : 8867XXXXX
ई-मेल : 17pratibha@gmail.com

अन्य संबंधित योग्यताएँ

  • कंप्यूटर का ज्ञान
  • डे- कैंपों व ओवर – नाइट- कैंपों के आयोजन का अनुभव
  • राजस्थानी भाषा का विशेष ज्ञान

उपलब्धियाँ

  • वाद-विवाद राज्य-स्तरीय प्रतियोगिता, प्रथम पुरस्कार, 2013
  • आशुभाषण प्रतियोगिता राष्ट्रीय स्तर पर (द्वितीय पुरस्कार), 2016

कार्योत्तर गतिविधियाँ तथा अभिरुचियाँ

  • समाजसेविका के रूप में कार्यरत्
  • अनाथ आश्रमों व मदर टेरेसा होम का नियमित अंतराल पर दौरा
  • समाचार पत्र का नियमित पठन

संदर्भित व्यक्तियों का विवरण

  • श्री गणेश लाल चौधरी, सरपंच ग्राम तिलोनिया
  • श्रीमती रीता मल्होत्रा, प्रिंसिपल डी.ए.वी. कॉलेज, अजमेर

उद्घोषणा मैं यह पुष्टि करती हूँ कि मेरे द्वारा दी गई उपर्युक्त जानकारी पूर्णरूप से सत्य है।

तिथी 7.10.20XX
स्थान अजमेर
प्रतिभा शर्मा
(हस्ताक्षर)

अथवा

From : Jitendra@gmail.com
To : M.Indiashiping@gmail.com
CC : abc@gmail.com
BCC :-

विषय शिपिंग कंपनी से सामान के संबंध में पूछताछ हेतु ।

महोदय,

हमें तुर्किये (तुर्की अथवा टर्की) स्थित अपने ग्राहक को पीतल के गुलदस्ते भेजने हैं। कृपया आप तुर्किये के लिए माल को लेकर जाने वाले अपने अगले जहाज़ का नाम और कार्गो प्राप्त करने की अंतिम तारीख की सूचना भेजें।

गुलदस्ते गत्ते के 16 डिब्बों (कार्टन) में पैक किए जाएँगे, जिनका माप 3 × 2 × 1 फीट 1/2 होगा और प्रत्येक डिब्बे का वज़न लगभग 12.50 किग्रा होगा।

अपने भाड़े का भी उल्लेख करते हुए पत्र का उत्तर शीघ्र दें।

धन्यवाद ।
भवदीय
हस्ताक्षर…..
(जितेंद्र त्यागी)

प्रश्न 15.
आपके शहर में होली के अवसर पर हास्य कवि सम्मेलन होने वाला है। इसके लिए आर्य समाज की ओर से लगभग 40 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए। (4)
अथवा
आप अमाया सिंघल हैं। आपके मित्र ने तैराकी में स्वर्ण पदक प्राप्त किया है, इसके लिए लगभग 40 शब्दों में मित्र को शुभकामना संदेश लिखिए।

अथवा

तैराकी में प्रथम आने पर शुभकामना संदेश

प्रवेश निःशुल्क
दिनांक 10 जनवरी, 20XX
समय 9:00 बजे प्रात:

प्रिय मित्र,

कल शाम टी.वी. में तुम्हें देखा व तुम्हारी उपलब्धि के विषय में पता चला कि तैराकी में तुम्हें प्रथम आने पर स्वर्ण पदक मिला है और ओलंपिक में भी तुम्हारा चयन हो गया है। देखकर मन प्रसन्न हो गया। तुम्हारी मेहनत रंग लाई। आगे चलकर तुम देश का नाम खूब रोशन करोगे, मुझे पूरा विश्वास है । तुम्हें व तुम्हारे सपरिवार को मेरी व मेरे माता-पिता की ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ।

तुम्हारी मित्र
अमाया सिंघल

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